मुक्तिबोध की समीक्षाई
गजानन माधव मुक्तिबोध की समीक्षाई को जाने बिना समकालीन हिंदी-समीक्षा के विकास को समझना मुश्किल है। पिछले तीन-चार दशक की समीक्षा में मुक्तिबोध के समीक्षात्मक विचारों का प्रभाव असंदिग्ध माना जाता है। इस ‘समीक्षाई’ पुस्तक में मुक्तिबोध के समीक्षा-सिद्घांतों का ऐसा परिचय मिलता है, जिसे पढ़ते हुए पाठक लेखक के … Continued