बंदरिया चली ससुराल राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के निर्देशक श्री राकेश शर्मा चाहते थे कि वे बच्चों के साथ एक कार्यशाला आयोजित करें और जो नाटक खेला जाए उसे अशोक चक्रधर लिखें। कार्यशाला प्रारंभ हो चुकी थी और नाटक हाथ में था नहीं। अशोक जी ने अपने बाल-मनोविज्ञान और समाजार्थिक ज्ञान के आधार पर … Continued
बिटिया की सिसकी कम उम्र में ही कन्या का विवाह कर देना, हमारे देश की एक बड़ी समस्या है। इसके बहुत सारे घातक परिणाम समाज में दिखाई पड़ते हैं। समय की मांग है कि सभी मिलकर इस कुरीति को दूर करने का संकल्प लें। एक छोटा-सा गांव था। उसमें रहती थी एक छोटी-सी … Continued
जब रहा न कोई चारा पुस्तक के बारे में कहा गया है कि यह मीडिया नाट्य संकलन है। ऐसा लगता है जैसे अशोक चक्रधर मीडिया नाटक जैसी किसी नई विधा से रूबरू कराने जा रहे हैं। वस्तुतः मीडिया नाटक के रूप में इस संकलन में जहां एक ओर ‘बात पते की’, ‘समझ गया सांवरिया’ और … Continued
रंग जमा लो प्रस्तुत पुस्तक में दस नाटकनुमा कविताएं तथा कवितानुमा नाटक लिखने का एक सफ ल प्रयोग है। ‘रंग जमा लो’ ऐसे एक बहुरंगी फूलों का गुलदस्ता है। अशोक चक्रधर ने अपनी अनोखी सूझ-बूझ तथा विषयानुकूल शिल्प से इन्हें जो रूप दिया है, वह हृदयस्पर्शी है। समस्त नाटिकाओं में काव्य की गूंजें … Continued
किशोर उपन्यास बाल मन और किशोर मन में प्रवेश करने में अशोक जी सिद्धहस्त हैं। उन्होंने बच्चों के लिए उपन्यास लिखे। कविताएं लिखीं। नाटक लिखे। बच्चों के मनोविज्ञान को समझ कर,. उनसे दोस्ती बढ़ाकर और उनकी भाषा में बतियाते हुए।