और कितने दिन ‘बोल बसंतो’ पुस्तकमाला की दसवीं कड़ी है- ‘और कितने दिन’। यह कड़ी लाजो और बसंतो की विकास-यात्रा और क़ानूनी सहायता पर आधारित है। वकील सत्यव्रत ऐनी और इरफान को बसंतो की पूरी कहानी बताते हैं। यह एक सुखद आश्चर्य था कि क़ानून को कुछ न समझने वाली बसंतो अब क़ानून … Continued
जुगत करो जीने की ‘बोल बसंतो’ पुस्तकमाला की नवीं कड़ी है- ‘जुगत करो जीने की’। यह कड़ी ठेका प्रवासी मजदूर संबंधी क़ानूनों के बारे में जानकारी बढ़ाती है। हलकार सिंह ठेके पर गांव-गांव से प्रवासी मज़दूरों को इकट्ठा करके महानगर में लाता है और उनका शोषण करता है। लाजो और बसंतो रसोईदारिन के रूप … Continued
मज़दूरी की राह ‘बोल बसंतो’ पुस्तकमाला की आठवीं कड़ी है- ‘मज़दूरी की राह’। लाजो की ज़िंदगी मुश्किल हालातों से गुज़र रही है। उसने रद्दी अख़बारों से लिफ़ाफ़े बनाने का कारोबार शुरू किया लेकिन ठेकेदार धोखेबाज़ निकले। लिफ़ाफ़े बनाने के काम में कमाई ज़्यादा नहीं हो रही थी, लाजो ने यह काम छोड़ दिया। … Continued
और पुलिस पर भी ‘बोल बसंतो’ पुस्तकमाला की सातवीं कड़ी है- ‘और पुलिस पर भी’। इस कड़ी में पुलिस संबंधी क़ानूनों को रेखांकित किया गया है। पुलिस जनता और क़ानूनों की हिफ़ाज़त के लिए होती है। नागरिकों को पुलिस की हर संभव मदद करनी चाहिए। रमली का पति दारू पीकर उसकी पिटाई करता था। … Continued
कहानी जो आंखों से बही ‘बोल बसंतो’ पुस्तकमाला की छठी कड़ी है- ‘कहानी जो आंखों से बही’। यह कड़ी बलात्कार और अपहरण जैसे विषय से जुड़ी हुई है। दस बरस की बालिका को भी बलात्कार की यातना से गुज़रना पड़ा। प्रायः पुलिसकर्मी बलात्कार की शिकार महिलाओं से उल्टे-सीधे सवाल पूछते हैं और उन्हें बार-बार अपमानित … Continued
अपना हक़ अपनी ज़मीन ‘बोल बसंतो’ पुस्तक माला की पांचवीं कड़ी है- ‘अपना हक़ अपनी ज़मीन’। लाजो के जीवन पर अचानक वज्रपात हुआ। उसका पति सुरेश एक सड़क दुर्घटना में मारा गया। दो छोटे-छोटे बच्चों के साथ असहाय लाजो को रिश्तेदारों ने कोई सहारा नहीं दिया। सुरेश के भाई लाजो और सुरेश की शादी … Continued
कब तलक सहती रहें ‘बोल बसंतो’ पुस्तक माला की चौथी कड़ी है- ‘कब तलक सहती रहें’। भारतीय पुरुषप्रधान समाज में तलाक अभी पश्चिमी देशों की तरह आम नहीं हुआ है, लेकिन यदि अत्याचार सीमा पार कर जाएं तो हमारे क़ानूनों में तलाक का प्रावधान है। तलाक के मामले को लेकर बहुत सारी भ्रांतियां समाज … Continued
रोती ये धरती देखो ‘बोल बसंतो’ पुस्तक माला की तीसरी कड़ी है- ‘रोती ये धरती देखो’। भारतीय समाज में दहेज एक बहुत बड़ा अभिशाप है। ज्योति की सास कालीदेवी अपनी बेटी सुनीता के साथ मिलकर ज्योति को बहुत सताती है। काली देवी का परिवार शादी के बाद दहेज की नाजायज़ मांग करता है। अंततः … Continued
ऐसे होती है शादी ‘बोल बसंतो’ पुस्तक माला की दूसरी कड़ी है- ‘ऐसे होती है शादी’। भारतवर्ष में शादी के अनेक कानून हैं। विभिन्न धर्मों में शादियों के अलग रीति-रिवाज हैं लेकिन कानून ने हर दृष्टि को देखते हुए मान्य और अमान्य विवाहों की व्याख्या की है। लाजो का सुरेश से किया गया गंधर्व … Continued
तो क्या होता जी ‘बोल बसंतो’ पुस्तक माला की पहली कड़ी है- ‘तो क्या होता जी’। यह पुस्तकमाला क़ानूनी साक्षरता के उद्देश्य से नवसाक्षरों के लिए लिखी गई है। बसंतो कपड़ों के बदले बर्तन बेचने वाली एक प्रौढ़ महिला है, जो क़ानून को सिर्फ़ कोर्ट कचहरी समझती है। एक मध्यवर्गीय परिवार में जब कटोरदान … Continued