कम एज ज़्यादा एजूकेशन
बेरोज़गारी से जूझता ये नेशन।
युवाओं के जत्थे का जत्था
रेल जैसे मधुमक्खी का छत्ता!
सभी चाहते हैं कि उनके बच्चे,
पद पाएं एक से एक ऊंचे
एक से एक अच्छे।
पुलिस या सुरक्षा बल में
क़ायदे-कानून के अमल में
योगदान देने
रोजगार लेने
चार सौ रिक्तियों के लिए
चार लाख नौजवान आते हैं।
जलती बसें और फुंकती रेलें देखकर
बिना किसी मदद के
मालगाड़ी पर लद के
दल के दल कभी पैदल
घर आ जाते हैं।
आए तो आए,
नहीं आए तो नहीं भी आए।
कहां गए
मां-बाप को कौन बताए!
ओ इंजन ड्राइवर
अगर तेरे अपने बच्चे
रेल की छत पर
सफ़र कर रहे होते
तो क्या तू फ्लाईओवर
या बिजली के तार आने पर
ब्रेक नहीं लगाता?
गाड़ी दौड़ाए चला जाता?
छत पर कितना हुजूम था,
दुष्ट, तुझे मालूम था!
हालात को देखकर आंखों में नमी है,
बात ये नहीं है कि वेदना बढ़ी है
बात ये है कि संवेदना में कमी है।