तू कर उस दर पे सजदा
(जब रफ़ा-दफ़ा करना मुश्किल जान पड़े)
किसी से
क्यों खफ़ा है?
समय ही
बेवफ़ा है।
ये हर कोई
सोचता है,
कहाँ उसका
नफ़ा है।
बहुत
बेकार सा अब,
यहां
हर फलसफ़ा है।
बहुत लूटा था
जिसने,
फंसा वो
इस दफ़ा है।
इबारत
मिट चुकीं सब,
सफ़ा
उसका सफ़ा है।
वो मुजरिम
प्यार का था,
बड़ी भारी
दफ़ा है।
समझ पाना
कठिन है
दफ़ा में क्या
रफ़ा है।
तू कर
उस दर पे सजदा
जहां
थोड़ी वफ़ा है।