रिश्तेदार घर गए उजाड़
(फिल्मी गीतों की धुनों पर पति-पत्नी का सिर-धुन संगीत)
—एक दो तीन, चार पांच छ:
सात आठ नौ, दस ग्यारा, बारा तेरा।
तेरा तेरा, तेरे पीहर के, रिश्तेदार
घर ये गए मेरा उजाड़।
आए दिवाली पे होली गई,
घर से मगर ये न टोली गई।
बस एक साली गई सुन्दरी
जिसकी वजह से ठिठोली गई।
अब जो बचे, वो सब हैं ख़ार, रिश्तेदार
घर ये गए मेरा उजाड़।
—भोले-भोले! ओ तोप के गोले!!
कभी सच भी बताया करो।
—भोली-भोली! ओ मीठी गोली!!
हमें यूं न फंसाया करो।
—कहना तुम्हारा ये सच्चा नहीं,
गिनती करना अच्छा नहीं!
मेहमां तुम्हारे, आते हैं इतने सारे
उनको भुलाना भी तो, अच्छा नहीं!
मेरे गिनवाए, अपने छुपाए
तेरह कैसे हुए, ये बताना ज़रा!
—ईना मीना डीका
बेटा जीजा जी का, बेटा फूफा जी का
छोटे मामा जी का, बड़े मामा जी का
ईरा लमज़ीरा टीना
लीना लवलीना वीना
गिन लो इनको, जी गिन लो इनको।
रिश्तेदार. . .ये तेरा के तेरा!
इस घर में डाले हुए हैं डेरा!!
नहीं है दाल-आटे, भरते हैं ये खर्राटे
कब जायंगे ये भला?
बेटा जीजा जी का. . .।
—साली भी आ जाएगी यार!
थोड़ा सा तो करो इंतेज़ार!!