अमीरी जान गई है इतना
(इस अमीर देश में ग़रीबी अपनी ताक़त नहीं जान पाई)
हो छोटा सा अपराध
ग़रीबी
थर्राती है डर में,
अपराधी बड़ी अमीरी
रहती फिर भी
जगर-मगर में।
कारण है इसका यही
अमीरी जान गई है इतना
सोने से लदा गधा प्यारे
घुस सकता है हर घर में।
ऐब है तुझमें
तू अभागा है,
ज्ञान तुझमें
नहीं ये जागा है
सारी त्रुटियों पे
लगा दे टांका
पैसा ही ऐसा
सुई-धागा है!
अनुभवी श्रेष्ठ है
प्रकांड है तू,
समझता है
कोई ब्रह्मांड है तू!
आज के युग में
तेरी पूछ नहीं,
यहां बता कि
कोई ब्रांड है तू!
उन्हें अच्छा नहीं लगता
ग़रीबी बांचना,
है उनके वास्ते
इतनी ग़रीबी सांच ना!
अमीरी ने
बनाई है जो धुन
अपने लिए,
उसी धुन पर थिरक कर
ओ ग़रीबी!
नाचना!!