नन्ही सचाई और बुनियादी सवाल
(बच्चों के पास भोले प्रश्न होते हैं और मर्मांतक प्रश्न)
श्रीमानजी बोले—
एक डॉक्टर मित्र हमारे,
स्वर्ग सिधारे।
असमय मर गए,
सांत्वना देने
हम उनके घर गए।
उनकी नन्ही-सी बिटिया
भोली-नादान थी,
जीवन-मृत्यु से
अनजान थी।
हमेशा की तरह
द्वार पर आई,
देखकर मुस्कुराई।
उसकी नन्ही सचाई
दिल को लगी बेधने,
बोली— अंकल!
भगवान जी
बीमार हैं न
पापा गए हैं देखने।
मैंने कहा— श्रीमानजी!
देना एक बात पर ध्यान जी!
कि कभी-कभी बच्चे
बातें करते हैं बुनियादी,
बहुत पहले
मेरी बेटी स्नेहा की
एक बात ने
मेरी नींद भुला दी।
चौरासी के दंगों में
जब कॉलोनी में
मचा था हाहाकार,
स्नेहा ने पूछा—
पापा!
हम हिन्दू हैं
या सरदार?