नारी के सवाल अनाड़ी के जवाब
प्रश्न 1. अनाड़ी, ये बताइए कि शादी वाला लड्डू खाना चाहिए या नहीं?
किरन नैय्यर
तपेन्द्र निवास
गली नं. 8, रामपुर रोड
हल्द्वानी, जिला-नैनीताल (उत्तराखण्ड)
शादी का लड्डू खाने से पहले
लड्डू की शादी में जाना,
देखना उसका इमरती के साथ
नज़रें मिलाना।
यह भी देखना कि जब दोनों के गले में
पड़ रही थी वरमाला,
तब उनके चेहरे पर था कितना उजाला?
लड्डू में कितनी चमक थी,
इमरती में कितनी दमक थी?
फिर दोनों को अपने घर
खाने पर बुलाना,
क़रीब जाकर उनके हाथ धुलाना।
सूंघना कि सड़ तो नहीं गया उनका खोया,
शादी से उन्होंने क्या पाया क्या खोया?
बढ़ा तो नहीं है बखेड़ा,
फिर कुछ अरसे बाद
जब दिखें उनकी गोदी में
नन्हीं बरफी या नन्हा पेड़ा।
किलकारियां बरफी भरेगी या पेड़ा भरेगा,
तब, शादी का लड्डू मैं भी खाऊं
तुम्हारा मन करेगा।
प्रश्न 2. अनाड़ी जी, क्यों नई पीढ़ी अपने रिश्तों की गहराई के साथ-साथ मानवीय जीवन मूल्यों को भी खोती जा रही है? क्यों अब नाते रिश्तों में वो प्यार, वो गरमाहट नहीं रही?
एकता मोदी
II-E 235, J.N.P.Colony
बीकानेर (राज.)
प्रिय एकता मोदी
किसने आपके मन में
ऐसी नकारात्मकता बो दी?
सच्चे रिश्तों में
न तो प्यार की गरमाहट ख़त्म होती है
न होती हैं भावनाएं मैली,
बस बदल जाती हैं
उन्हें अभिव्यक्त करने की शैली।
अब समझनी होगी
नई पीढ़ी की भावनाओं की भाषा,
पढ़नी होंगी उनकी आशा और निराशा।
मैं तो मानता हूं कि
नई पीढ़ी न तो गोबर से लिपी है,
न उसके अन्दर पहले जैसी लुका-छिपी है।
उसके पास अब
ज्ञान सूचनाओं का विपुल भंडार है,
महसूस तो करिए
मानवता के लिए भी प्यार बेशुमार है।
प्रश्न 3. अनाड़ी जी, आजकल हर तरफ परिवारों में बिखराव नजर आता है, इस हालत के लिए नारी की आधुनिकता को जिम्मेदार ठहराया जाना कितना सही है?
दिव्या कौशिक
चन्दन सागर वैल
बीकानेर (राज.)
बिखराव आया है
तो कोशिश करो समेटने की,
परस्पर अहंकार मेटने की।
आधुनिकता का काम होता है होश देना,
इसलिए उसे मत दोष देना!
विकास को कोसना निराधार है,
असल दोषी तो ब्रांडों से भरा बाज़ार है।
जब चलती हैं निरंकुश तमन्नाओं पर
अभाव की आरी,
तब बिखर जाते हैं
क्या नर, क्या नारी!
प्रश्न 4. अनाड़ी जी, कहते हैं कि हर सफल आदमी की सफलता के पीछे एक औरत का हाथ होता है। तो यह बताइए कि आपकी सफलता के पीछे कौन है?
डॉ. शालिनी
द्वारा-आशुतोष सक्सेना
511, टैगोर हॉस्टल, मिंटो रोड
नई दिल्ली-110002
पुरुष की सफलता के पीछे होती हैं
बहुत सारी नारियां निष्कलुष,
और एक अनिवार्य पुरुष।
नारियां हैं—
आस्था, निष्ठा,
कर्मठता, एकाग्रता,
मेहनत और सेहत।
वह इन सबका करता है भोग,
अनिवार्य पुरुष है
पत्नी का सहयोग।
प्रश्न 5. अनाड़ी जी, आजकल शादी जैसे पवित्र रिश्ते के प्रति युवाओं में विश्वास लगातार कम होता जा रहा है। आपका क्या सोचना है?
सरला सक्सेना
4-बी, बल्लभनगर कॉलोनी
पीलीभीत (उ.प्र.)
शादी का रिश्ता सचमुच पवित्र है,
पर देखना है ये कि
उसे जीवनभर महकाने के लिए
पति-पत्नी के पास कितना इत्र है।
आज के अधिकांश पढ़े-लिखे युवा
शादी की ज़िम्मेदारी
माता-पिता को नहीं देते हैं,
अपना निर्णय स्वयं लेते हैं।
सोचते हैं कि
शादी के झमेले में क्यों पड़ें,
अच्छा है कि संबंध न सड़ें।
अपना निर्णय उन्हें स्वयं लेने दो
जीवन का जहाज उन्हें स्वयं खेने दो।
प्रश्न 6. अनाड़ी जी, प्यार की पहली सीढ़ी नफ़रत है तो नफ़रत की पहली सीढ़ी क्या है?
सरोज भारती
द्वारा-प्रदीप किशोर रवि
स्वर्ण रेखा नगर, रोड़ नं. 2
लोअर चुटिया, रांची (झारखण्ड)
नफरत की पहली सीढ़ी है ईगो,
उसे छोड़ कर प्यार में भीगो।
उसने ऐसा क्यों कहा
इसने वैसा क्यों कहा,
फिर लगने लगता है कि
अब क्या रहा!
प्रेमी अपनी ग़लती मानते कहां हैं,
इसीलिए नफरतें ही नफरतें
यहां से वहां हैं।
नर हो या नारी,
परस्पर झुकने में है समझदारी।
इसलिए नफरत मत करना जमा,
प्यार की पहली सीढ़ी है क्षमा।
प्रश्न 7. अनाड़ी जी, मनुष्य जगत में लुटता है तो दोष किसी पर मढ़ता क्यों है?
प्रियांशी अरोड़ा
लक्ष्मी निवास,
बी-8, कृष्णा नगर-II
गांधी नगर मोड़ के सामने
टोंक रोड, जयपुर-302012 (राज.)
जो व्यक्ति लुटता है
वो ढूंढता है अपना लुटेरा,
खोज करता है कि
कौन है दुश्मन मेरा!
कभी-कभी नहीं रहता है होश,
इसलिए बेकसूरों पर भी
मढ़ता है दोष।
हो सकता है कि
कभी इस निष्कर्ष पर पहुंचे
कि सारा दोष तो मेरा था,
मेरे अन्दर ही तो मेरा लुटेरा था।
प्रश्न 8. अनाड़ी जी, वकील का काला कोट और पुलिस की खाकी वर्दी देखकर हर कोई डर क्यों जाता है?
प्रियंका तोलवानी
264, महावीर नगर II
महारानी फार्म
जयपुर (राज.)
काला रंग बदल सकता है खाक में,
खाकी रंग मिला सकता है राख में।
एक के पास तर्क हैं
एक के पास ताकत,
ये दोनों नहीं देखते
भावनाओं की नजाकत।
वे लोग होते हैं अभागे
जो इन्हें देख डर कर नहीं भागे।