नारी के सवाल अनाड़ी के जवाब
प्रश्न 1. क्या आप भी अन्ना हजारे की तरह ये मानते हैं कि देश के सारे नेता चोर हैं?
राजरानी गोयल
सी-1461, इन्द्रानगर
लखनऊ (उ. प्र.)
ग़लत सोचते हैं अन्ना हजारे,
ख़राब कैसे हो सकते हैं सारे के सारे!
मैं तो ये मानता हूं
कि अधिकांश ठीक होते हैं,
लोकतंत्र में
मर्यादाओं के प्रतीक होते हैं।
कुछ सचमुच होते हैं गंदे,
भ्रष्टाचारियों के लिए बने हैं
क़ानून के फंदे।
हमारे देश में
हर अपराध के लिए कानून है,
लेकिन हम देखते हैं कि
उनका रोज़ाना होता ख़ून है।
जिस दिन न्यायपालिका सुधर जाएगी,
देश की किस्मत उधर जाएगी,
जिधर जानी चाहिए,
व्यवस्था में अक्ल आनी चाहिए।
पर अन्ना अपने इर्द-गिर्द की
गर्द को भी निहारें,
फिर ऐसे वचन उचारें।
प्रश्न 2. अनाड़ी जी, आज भीड़ का हर सदस्य ‘मैं अन्ना हूं’ के नाम की टोपी पहनकर ईमानदार बनने को बेताब है। क्या अन्ना बनना इतना आसान है?
रेखा वागीश दीक्षित
ए/6, सुरभि बंग्लोज
टैक्स टॉल नाका के पास
माधव पार्क सोसायटी की पीछे, छाणी
वडोदरा-391740 (गुजरात)
अन्ना बनना बिल्कुल आसान नहीं है,
उन जैसा साधक दूसरा इंसान नहीं है!
उन्हें आती है अनशन की कला,
आम आदमी
इतना भूखा रह सकता है भला?
उन्होंने अपने लिए संपत्ति नहीं जोड़ी,
सामाजिक कार्यों की तरफ चेतना मोड़ी।
देश के युवाओं में इन दिनों
बड़ा सात्विक क्रोध है,
अन्ना के समर्थन से ज़्यादा
भ्रष्टाचार का विरोध है।
मैंने अन्ना की टोपी नहीं लगाई,
क्योंकि मैंने अन्ना में
गांधीवादी चेतना नहीं पाई।
मैं अपने अंदर की सुनता हूँ
जहाँ न अराजकता की वकालत है
न विचारों की तानाशाही,
एक विवेक है
न कि तत्काल की वाहवाही।
प्रश्न 3. अनाड़ी जी एफडीआई के आने से महिलाओं को नुकसान होगा कि फ़ायदा?
चेतना गोयल
इन्द्रानगर
लखनऊ (उ. प्र.)
मैं तो मानता हूं बाक़ायदा,
कि महिलाओं को होगा फ़ायदा।
नुकसान होगा ख़ुदरा दुकानदार को,
उसके चकाचक चलते व्यापार को।
लेकिन तुम्हें मिलेगा सामान साफ-सुथरा।
ऐसा नहीं, जैसा कि देता है ख़ुदरा।
हर चीज सील बन्द होगी
न कि फटे लिफ़ाफे में स्वछन्द होगी।
दाम की झिक-झिक नहीं,
मोलभाव पारस्परिक नहीं।
देखिए, परिवर्तन समाज में आते हैं,
जो फ़ायदे और नुकसान दोनों लाते हैं।
नुक़सान से बचना हो
तो चाहिए ख़रीदारी का विवेक,
और विवेक में भी एक बात नहीं अनेक।
एफडीआई के लिए एफडीआई
यानी ‘फटाफट दिमाग़ इस्तेमाल’ करो,
न कि फ़ालतू माल भरो।
प्रश्न 4. अनाड़ी जी, ये बताइए कि आपको घर में खाना पसन्द है कि बाहर?
संध्या पालीवाल
पालीवाल मेडिकोज, चौक
रायपुर (छ. ग.)
दोनों ही खाने पसन्द हैं,
जब देखा कि घर के दरवाजे बन्द हैं,
तो चले जाते हैं रेस्टोरैंट,
वहां मिलता है खाना एक से एक डीसेंट।
साबुत तली हुई मछली,
देखते ही अंतरात्मा तक मचली।
फिर लौटकर घर आते हैं,
दरवाजा खुला पाते हैं,
तो जैसा आदरणीया चाहती हैं
वैसा बनाकर उनको खिलाते हैं।
हम कभी-कभी झूठ बोलते हैं
इतना भी बताते हैं।
प्रश्न 5. अनाड़ी जी, जब एक पुरुष कमाता है तो उसकी पत्नी उसके साथ घरेलू महिला बन खुशी-खुशी जीवन जी लेती है, परंतु जब एक नारी कामकाजी और हाई प्रोफेशनल हो जाए तो उसका पति उसके साथ खुशी से क्यों नहीं रह पाता है?
तनु राज ठाकुर,
द्वारा-आर.के.ठाकुर, 511/1बी/2,गली नं. 1
पांडव रोड, विश्वास नगर, शाहदरा, नई दिल्ली-110032
ये समस्या महानगरों में विकराल है,
दरअसल यह एक संक्रमण का काल है।
प्रगति कर रही है नारी,
पुरुष के दिल पर चलती है
आशंकाओं की आरी।
वह डरता है
इसीलिए डराता है,
पुराणखंडी दिमाग को अभी
आदर करना नहीं आता है।
घर में पत्नी की अनुपस्थिति
उसका कलेजा चीरे,
लेकिन आदत पड़ जाएगी धीरे-धीरे।
प्रश्न 6. अनाड़ी जी, आज की नारी पुरुष से बराबरी करने की अन्धी दौड़ में कहीं अपने नारीत्व को खोकर पछताने तो नहीं जा रही?
दिव्या कौशिक
चन्दन सागर, वैल,
बीकानेर-334001 (राज.)
मोबाइल-9667003743
अभी अभी तो उत्तर दिया है
तनुराज को,
कि बदलना होगा समाज को।
ये कैसा रोना!
समझ नहीं आया
क्या होता है नारीत्व का खोना!
अभी तक पुरुष ही अपना
पुरुषत्व दिखाता आया है,
नारीत्व का आईना
उसी ने बनाया है।
मैं किसी मुगालते में नहीं रहता हूँ,
बार-बार कहता हूँ—
दोनों रचना हैं चराचर की,
ताकत हैं बराबर की।
प्रश्न 7. अनाड़ी जी, कहते हैं कि हर पुरुष की सफलता के पीछे किसी स्त्री का हाथ होता है, तो आप बताइए कि आपकी सफलता के पीछे किसका हाथ है?
सरला सक्सेना
बल्लभनगर कॉलोनी
पीलीभीत (उ.प्र.)
मेरी सफलता के पीछे
एक नहीं दो नारियों का हाथ है,
जिनके बिना अनाड़ी अनाथ है।
एक तो तुम्हारी भाभी बागेश्री
जिनका मैं पीछेश्री वे आगेश्री।
दूसरी है ऊर्जा मेरे काम करने की,
जो फुरसत ही नहीं देती है मरने की।
किसी न किसी गतिविधि में
हर वक़्त लगा रहता हूँ,
सोते हुए भी जगा रहता हूँ।