खाकी और खादी का रिश्ता
(डायनिंग टेबिल पर भ्रष्टाचार की रहस्य-चर्चा)
डायनिंग टेबिल थी हमारी,
और बोल रहे थे
नेताजी श्रीयुत बौड़म बिहारी—
‘चक्रधर जी! आम का अचार है?’
मैंने दिया तो बोले—
‘देखिए… ई जो भ्रष्टाचार है…
ई हमरा दो ठो आईज़ के सामने
दीन-दहारे,
पुलीस और
क्रिम्हीनल पालीटीसियन के सहारे,
साफ़ साफ़ बॅढ़ रहा है,
ग्राफ़ ऊपर की तरफ चॅढ़ रहा है।
ई दाल जरा इधर सरकाइए
और
हमरे सवाल का आंसर बताइए
…बड़ा टेस्टी है!’
मैंने कहा— ‘क्या भ्रष्टाचार?’
वे हंसे— ‘नहीं नहीं,
ये दाल और अचार!
वैसे सोचिए तो ये भ्रष्टाचार भी
सूपर टेस्टी होता है,
टेस्ट में समझिए कि
एभरेस्टी होता है।
बहूत मजा आता है,
तभी न पुलीस और
पालीटिसियन लोग इतना खाता है।’
मैंने कहा— ‘बौड़म जी!
ये लोग क्यों खाते हैं?
राज़ हम बताते हैं।
दरअसल, पुलिस और पौलीटिशियन
अपने अपने परिधान की
मर्यादा निभाते हैं,
आपने ध्यान दिया कि नहीं
खाकी और खादी
दोनों में पहले ‘खा’ लगाते हैं।