क्या इरादा जनाबेआली है?
(पीने वाले को एक साथी चाहिए और पुकारने के लिए एक मोबाइल फोन)
पहला फोन
क्या इरादा जनाबेआली है?
शाम खाली है, जाम खाली है!
आज सुबहू से क्या किया तूने?
ध्यान खुद पर नहीं दिया तूने!
नाम रटता रहा खुदा का बस,
नाम मेरा नहीं लिया तूने!
कैसी रंगत भला बना ली है!
क्या इरादा जनाबेआली है?
दूसरा फोन
पसीना इस क़दर बहा कर तू,
इतना मसरूफ़ मत रहा कर तू!
देख सूरज भी ढलने वाला है,
जल्दी आजा इधर नहा कर तू!
मैंने इक मेज़ भी सज़ा ली है।
शाम खाली है, जाम खाली है!
तीसरा फोन
क्या करेगा तू जोड़कर माया,
तूने ज़ालिम बड़ा सितम ढाया।
चाँदनी पूछ रही है मुझसे-
क्यों भला अब तलक नहीं आया?
क्या कहीं और ही लगा ली है?
शाम खाली है, जाम खाली है!
चौथा फोन
कुछ दिले बेक़रार ने पी ली,
कुछ ग़मे-रोज़ग़ार ने पी ली।
आँख रस्ते पे लगी थी मेरी,
बस तेरे इंतेज़ार ने पी ली।
कुछ तेरे वास्ते बचा ली है?
क्या इरादा जनाबेआली है?
अंतिम फोन
आज लगता है तुझे प्यास नहीं,
अब तेरे आने की भी आस नहीं।
आ भी जाएगा तो करेगा क्या?
चील के घोंसले में मांस नहीं।
हम जहां हैं, वहां पे नाली है!
क्या इरादा जनाबेआली है?
शाम खाली है, जाम खाली है,
क्या इरादा जनाबेआली है?