कैसी अच्छी रही उदासी
(छोटा दुख कम हो सकता है अगर बड़े दुख से अपनी तुलना कर ले)
दुख का अजब फ़साना है,
कहीं भूल से सुना न देना
तेरा काम हंसाना है!
अगर नहीं तू हंसा सका तो,
लगा कहीं तू थका-थका तो,
दुनिया उसका भी रस लेगी,
वह सूरत पर ही हंस देगी।
हो सकता है मारे ताने—
यही चला था हमें हंसाने!
फ़क़त एक ही काम दिया था,
जिसके कारण नाम दिया था।
सबकी तारीफें पाता था,
फोटो में तो मुस्काता था।
अब क्या अपना चेहरा देखा?
हा… हा… लिया हंसी का ठेका!!
लोग करेंगे कानाफूसी,
देखो तो इसकी मनहूसी!
ये मज़ाहिया भला कहां का?
इसी बात पर लगे ठहाका।
इस पर प्यारे ख़ुश हो लेना,
अपने दुख की भनक न देना।
कैसी अच्छी रही उदासी,
अरे, हंसी भी रही न प्यासी!
बोल सुन लिए आंके-बांके,
जिनके कारण लगे ठहाके।
हो सकता है कोई आए,
तेरी ख़ातिर मरहम लाए।
सच्चे मन से मन को भेदे,
बार-बार वो तुझे कुरेदे।
दिल का दुख हर सिम्त बचाना,
उसको भी कुछ मत बतलाना।
कहना— सचमुच रहा क्लेश में,
कारण इसका, आज देश में
गांधी का मर जाना है।