हंसी तू धन्य तुझे धिक्कार
(क्योंकि जहां नहीं आनी चाहिए वहां आने में देर नहीं लगाती)
ये हंसी एक चमत्कार है
चेहरे के भूगोल में
होठों का
विभिन्न कोणीय प्रसार है।
पिताजी हंसें तो फटकार है
मां हंसे तो पुचकार है
बीवी हंसे तो पुरस्कार है
पति हंसे तो बेकार है
उधार देने वाला हंसे तो इंकार है
लेने वाला हंसे तो उसकी हार है
दुश्मन हंसे तो कटार है
पागल हंसे तो विकार है
विलन हंसे तो हाहाकार है
पड़ौसी हंसे तो प्रहार है
दुकानदार हंसे तो भार है
हीरो हंसे तो झंकार है
हीरोइन हंसे तो बहार है
प्रेमिका हंसे तो इज़हार है
प्रेमी हंसे तो फुहार है।
ओ हंसी!
‘तू धन्य है,
तुझे धिक्कार है’ !
क्योंकि जहां नहीं आनी चाहिए
वहां आने में
देर नहीं लगाती है,
एक पल में
महाभारत कराती है।
नवजात बच्चों की हंसी
मां की घुट्टी में है,
बड़े बच्चों की हंसी
स्कूल की छुट्टी में है,
और चक्रधर तेरी हंसी
तेरी हंसी तो
तुझे चाहने वाले की मुट्ठी में है।