हमें ही क्यों दर्द मिला?
(मर्दवादी समाज में औरत के कुछ प्रश्न ऐसे हैं जो ईश्वर को भी निरुत्तर कर सकते
हैं।)
सांईं
कब तांईं सहूं?
कब ताईं कुछ न कहूं?
सांईं,
तूने बनाए चंदा तारे,
ये नदिया नारे
बनाया तूने उजियारा।
पर सोच सोच मन हारा
रक्खा एक तरफ सुख सारा।
ये गलत किया तूने
गलत किया तूने
सुख दुःख का बंटवारा।
हमें ही क्यों दर्द मिला?
सांईं
तूने बनाए नर नारी,
ये घर की फुलवारी
बनाया तूने जग सारा।
पूछे मेरा मन बंजारा,
औरत को ही आंसू खारा।
ये कैसे किया तूने
कैसे किया तूने
न्याय भी न्यारा न्यारा।
हमें ही क्यों दर्द मिला?
सांईं
तूने चलाई ठकुराई
दर पे तेरे आई
बजाया मैंने इकतारा
और दिल से तुझे पुकारा
तूने पाने को छुटकारा
अरे बंद किया सांईं
बंद किया मौला
अपना ये ठाकुरद्वारा।
बड़ा ही बेदर्द मिला।
तू भी तो एक मर्द मिला।
तभी तो हमें दर्द मिला।