बच्चे ये जवान हैं बच्चे ये बूढ़े हैं
(मेरी पुरानी कविता का एक अंश, बाल-दिवस पर आज भी वही दंश)
गलियों में बच्चे हैं
बच्चे ही बच्चे हैं, बच्चे दर बच्चे हैं
बच्चों में बंटे हुए बच्चे हैं,
तथाकथित बच्चों से कटे हुए बच्चे है।
बच्चे क्यों कहें इनको?
बच्चे ये जवान हैं, बच्चे ये बूढ़े हैं,
ज़िंदगी की इत्र-सैंट ख़ुशबू नहीं हैं ये
ज़िंदगी के घूरे हैं ज़िंदगी के कूड़े हैं
बच्चे ये जवान हैं बच्चे ये बूढ़े हैं।
जिल्दसाज़, करख़न्दार
फेरी वाले, चूड़ी वाले
फल वाले, ठेले वाले
पॉलिश वाले, मालिश वाले
शरबत पतंग वाले
ज़रदोज़ी कढ़ाई वाले
भिश्ती हैं, दर्ज़ी हैं पंसारी नाई हैं
खींच रहे गाड़ी हैं या फिर कबाड़ी हैं
वरक कूटते हैं ये मिठाई भी बनाते हैं
बावर्ची हैं दिन-भर रोटियां पकाते हैं।
ये बच्चा इंक-बॉय ये बच्चा पेपर-बॉय
ये रिक्शा खींचता है
घर-भर को सींचता है।
वह जो मोटे-मोटे ग्रंथों पर
संतों की बानी पर किस्सा-कहानी पर
इतिहास-भूगोल, गीता क़ुरान पर
अंकगणित, बीजगणित, ज्ञान-विज्ञान पर
गोंद-लेई-गत्ते से जिल्दें चढ़ाता है,
दिन-भर की मेहनत के बाद
क्या पाता है?
सुबह से शाम तक काग़ज़ मोड़े,
यही उसकी ज़िंदगी का आख़िरी मोड़ है,
यही उसके अतीत का घटाना है
यही उसके भविष्य का जोड़ है।
बच्चे ये जवान हैं बच्चे ये बूढ़े हैं
(मेरी पुरानी कविता का एक अंश, बाल-दिवस पर आज भी वही दंश)
गलियों में बच्चे हैं
बच्चे ही बच्चे हैं, बच्चे दर बच्चे हैं
बच्चों में बंटे हुए बच्चे हैं,
तथाकथित बच्चों से कटे हुए बच्चे है।
बच्चे क्यों कहें इनको?
बच्चे ये जवान हैं, बच्चे ये बूढ़े हैं,
ज़िंदगी की इत्र-सैंट ख़ुशबू नहीं हैं ये
ज़िंदगी के घूरे हैं ज़िंदगी के कूड़े हैं
बच्चे ये जवान हैं बच्चे ये बूढ़े हैं।
जिल्दसाज़, करख़न्दार
फेरी वाले, चूड़ी वाले
फल वाले, ठेले वाले
पॉलिश वाले, मालिश वाले
शरबत पतंग वाले
ज़रदोज़ी कढ़ाई वाले
भिश्ती हैं, दर्ज़ी हैं पंसारी नाई हैं
खींच रहे गाड़ी हैं या फिर कबाड़ी हैं
वरक कूटते हैं ये मिठाई भी बनाते हैं
बावर्ची हैं दिन-भर रोटियां पकाते हैं।
ये बच्चा इंक-बॉय ये बच्चा पेपर-बॉय
ये रिक्शा खींचता है
घर-भर को सींचता है।
वह जो मोटे-मोटे ग्रंथों पर
संतों की बानी पर किस्सा-कहानी पर
इतिहास-भूगोल, गीता क़ुरान पर
अंकगणित, बीजगणित, ज्ञान-विज्ञान पर
गोंद-लेई-गत्ते से जिल्दें चढ़ाता है,
दिन-भर की मेहनत के बाद
क्या पाता है?
सुबह से शाम तक काग़ज़ मोड़े,
यही उसकी ज़िंदगी का आख़िरी मोड़ है,
यही उसके अतीत का घटाना है
यही उसके भविष्य का जोड़ है।