और… और…… और………. क्या!
(संबोधन बदल जाएं तो समझिए कि संबंध बदल गए)
तुम भी
जल थे
हम भी
जल थे
इतने
घुले-मिले थे
कि
एक दूसरे से
जलते न थे।
न तुम
खल थे
न हम
खल थे
इतने
खुले-खुले थे
कि
एक दूसरे
को
खलते न थे।
अचानक
हम
तुम्हें
खलने लगे,
और
तुम
हमसे
जलने लगे।
तुम
जल से
भाप
हो गए,
और
‘तुम’ से
‘आप’
हो गए।
और… और……
और………. क्या!