अमराई की हरीतिमा में कफ़न-कांटी से निकलकर मुर्दा सोच रहा है- जाने क्या टपके । ‘जाने क्या टपके’ का आवरण बड़ा दिलचस्प है। पुस्तक के बैक में अशोक जी भी टपकते हुओं को लपकने की चेष्टा करते दिखाई पड़ते हैं। वहां लिखा भी है- ‘छंद और गीतितत्व अशोक चक्रधर की शक्ति हैं। अपनी इस शक्ति को वे निज नाट्य-कौशल से द्विगुणित करना भी जानते हैं। इस पुस्तक की रचनाओं के बारे में वे कहते हैं- कभी कामों ने हमें लपका। कभी हमने काम लपके । नज़रें ऊपर हाथ ऊपर। जाने क्या टपके।’ ‘क्रिकेट टुडे’ में एक साल तक ‘किरकिटिया दुमदार-दोहे’ लिखते रहे। छांटे हुए सौ दोहों का एक शतक उन्होंने इस पुस्तक में भी लगाया है। ‘छोटी सी आशा’ नामक धारावाहिक में उन्होंने कुछ कविताओं का तमिल से भावानुवाद करते हुए विस्तार किया। कुछ नई बनाईं। वे कविताएं भी इस पुस्तक में संकलित हैं। पद्मभूषण सोनल मानसिंह की मांग पर उन्होंने बैले रचना की ‘देश धन्या पंच कन्या’। इसी प्रकार राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय द्वारा प्रस्तुत किए गए नाटक ‘आदर्श हिन्दू होटल’ के लिए लिखे गए गीत पुस्तक में संकलित हैं। जिन्होंने इन रचनाओं को नाट्यमंच एवं टी.वी. पर देखा होगा अथवा पत्रिका में पढ़ा होगा, उन्हें इनमें गीतिनाट्य जैसा आनंद आएगा।
पुस्तकें
'हंसो और मर जाओ' की हास्य-व्यंग्य कविताओं को उन्होंने तीन भागों में बांटा है। काम, कामनाएं और शुभकामनाएं। काम खंड में 'जंगलगाथा', 'अस्पतालम् खंड-खंड काव्य' तथा शीर्षक-कविता 'हंसो और मर जाओ' उल्लेखनीय हैं। 'जंगलगाथा' में उन्होंने प्राचीन जातक कथा शैली के मनुष्येतर प्रतीकों के माध्यम से वर्तमान राजनीति पर करारा व्यंग्य किया है। अस्पताल वाली कविता चिकित्सा-जगत और चिकित्सकों की दुर्व्यवस्था की तस्वीरों की एक श्रृंखला है। इन स्थितियों पर हंसी भी आती है और तकलीफ़ भी होती है..."
अनुक्रम
- होटल में लफड़ा
- भोजन प्रशंसा
- मनोहर को विवाह-प्रेरणा
- वीरगति
- मंगल इमरती
- रांग कॉल
- टेलीफ़ोन कट
- चालीस का प्यार
- वीर माता
- वाचमैन
- कॉर्पोरेशन
- बेटे की बरसी
- श्रीनिवासन का प्रणय-गीत
- हनीमून-१
- हनीमून-२
- किरकिटिया दुमदार-दोहे
- पीर पराई जाणें रे
- समय की नदी
- पंच कन्या भारती
- प्रथम प्रणामा : भीकाएजी कामा
- दूसरी कन्या / कस्तूरबा गांधी
- त्याग था कस्तूरबा का
- तीसरी कन्या : सरोजिनी नायडू
- इंदिरा गांधी : चतुर्थ सुता
- पांचवीं कन्या
- रेल का आना
- हजारी का स्वप्न-१
- चूर्णी नदी के तट पर व्याकुल हजारी
- नरेन्द्र-टेंपी की जोड़ी बन जाय
- प्रेम की पहली फुहार
- हजारी की गिरफ्तारी
- अतसी की शादी
- चिड़िया की उड़ान
- विधवा अतसी का आना
- ज्योति-पुष्प
- व्यंजन-गीत
- अल्पना गीत
- डगर डगर जगर मगर
- सुन लो रे भाई चित लाय
- होली मांगै कंडा
- मिलनी
- मैं तो पढ़-लिख गई सहेली
- गुनगुना
- लली आई
- टिटहरी और गिलहरी
- बसा घर बार
- बच्चा हुआ बधाई
- स्वस्थ जीवन की राह
- ज्ञान-ज्योति
- मल्हार
- गेल-गीत
- राष्ट्र की शान