आज़ादी की स्वर्ण जयंती के संदर्भ में धूमधाम से समारोह मनाए जा रहे थे। इसी श्रृंखला में पद्मभूषण सोनल मानसिंह को एक नृत्यनाटिका प्रस्तुत करने का प्रस्ताव मिला। उन्होंने इस नाटिका के लेखन का प्रस्ताव अशोक जी के आगे रख दिया। यह भी बताया उन्होंने कि वे पंच कन्या नाम की एक नृत्यनाटिका पहले कर चुकीं हैं, जिसमें पांच पौराणिक नारियों को विषय बनाया गया था। क्यों न आधुनिक भारत की निर्मात्री पंच कन्याओं को कें द्र में रखकर सोचा जाए। अशोक जी ने उनकी बात का समर्थन किया। अब सवाल था कि वे पांच कन्याएं कौन-कौन-सी होंगी। जब चार कन्याएं चुन ली गईं और पांचवीं की बारी आई तो सोनल जी बोलीं पांचवीं कन्या मैं हूं, अर्थात् इस देश की आम नारी। अशोक जी को बात जम गई और उन्होंने लिख दी नृत्य-नाटिका ‘देश धन्या पंच कन्या’।
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आज़ादी की स्वर्ण जयंती के संदर्भ में धूमधाम से समारोह मनाए जा रहे थे। इसी श्रृंखला में पद्मभूषण सोनल मानसिंह को एक नृत्यनाटिका प्रस्तुत करने का प्रस्ताव मिला। उन्होंने इस नाटिका के लेखन का प्रस्ताव अशोक जी के आगे रख दिया। यह भी बताया उन्होंने कि वे पंच कन्या नाम की एक नृत्यनाटिका पहले कर चुकीं हैं, जिसमें पांच पौराणिक नारियों को विषय बनाया गया था।... "
अनुक्रम
- प्रथम प्रणामा : भीकाएजी कामा
- दूसरी कन्या : कस्तूरबा गांधी
- त्याग था कस्तूरबा का
- तीसरी कन्या : सरोजिनी नायडू
- इंदिरा गांधी : चतुर्थ सुता
- पांचवीं कन्या