एक अरसे बाद सन् २००२ में अशोक चक्रधर की हास्य-व्यंग्य कविताओं का एवं स्वस्थ संकलन आया है जिसमें उनकी छोटी बड़ी किसिम-किसिम की रचनाएं हैं। कुछ कविताओं में उनका एक चिंतक एवं दार्शनिक स्वरूप भी दिखाई देता है जहां वे कम शब्दों में कोई जीवन-मर्म समझा देते हैं। जैसे- ‘लहर ने समंदर से उसकी उम्र पूछी। समंदर मुस्कुरा दिया। लेकिन जब/ बूंद ने / लहरों से / उसकी उम्र पूछी/ तो लहर कुढ़ गई / बूंद के ऊपर ही चढ़ गई और मर गई। बूंद समंदर में समा गई / और समंदर की उम्र बढ़ा गई।’ संकलन की उल्लेखनीय कविता है ‘पचास के पांच’ जहां वे पसीने की महत्ता बताते हैं। टिश्यूपेपर के डिब्बे बेचने वाला कहता है, ‘बाबूजी / जो इन काग़ज़ों को / ख़रीदकर ले जाता है / उसे पसीना ही कहां आता है।’ अशोक जी में विषय-चयन की अद्भुत क्षमता है। जितना विषय-वैविध्य उनके रचना-संसार में देखने को मिलता है, उतना मंच के अन्य समकालीन कवियों में नहीं है। आशा है यह पुस्तक ‘तमाशा’ और ‘भोले-भाले’ के समान लोकप्रिय होगी।
पुस्तकें
एक अरसे बाद सन् २००२ में अशोक चक्रधर की हास्य-व्यंग्य कविताओं का एवं स्वस्थ संकलन आया है जिसमें उनकी छोटी बड़ी किसिम-किसिम की रचनाएं हैं। कुछ कविताओं में उनका एक चिंतक एवं दार्शनिक स्वरूप भी दिखाई देता है जहां वे कम शब्दों में कोई जीवन-मर्म समझा देते हैं..."
अनुक्रम
- हंसना-रोना
- परदे हटा के देखो
- खींचो खींचो
- मतपेटी से राजा
- गति का कुसूर
- मंत्रिमंडल विस्तार
- अप्पन-संस्कृति
- तेरा है
- धागा कहां है
- मर मिटी दुनिया
- प्लीज़! डोण्ट डिस्टर्ब मी
- गुदरी का लाल
- सपने की विडम्बना
- जो सीखा
- पचास के पांच
- चमत्कारी ज़ेवर
- बड़ा ख़याल
- करवट
- दाना-तिनका
- देश की कन्या
- कष्ट
- कारगिल शहीदों के नाम
- अधन्ना सेठ
- वंशानुगत बीमारी की फ़ीस
- बहरे या गहरे
- बात-घूंसा-लात
- बूढ़ा पेड़
- दोष तुम्हारा
- ख़ुद खादी
- काका ज़िंदाबाद
- बूता
- मुहावरों का भी पीछा छोड़
- आर-पार
- लमहे की औक़ात
- भरना होगा
- पदचाप
- ग़नीमत है
- वैसे तुम्हारी मर्ज़ी
- समंदर की उम्र
- लहर डालियां नाचीं क्यों
- तू भी पढ़
- कितना अच्छा रहे
- रबैका का अवोका
- भिन्नौटी
- खारा पानी
- व्हाइट टाइगर
- अगर दाने
- अपना-अपना
- झींगुर बोला
- साधना
- सोच की सड़क पर
- और ले लो मज़े
- निन्यानवै का फेर / १९९९
- मिलेनियम बने हमारा / २०००
- नए साल की दक्षिणा / २००१
- हरा समंदर गोपी चंदर
- रहे शंख के शंख
- आंसू बहाना मना है
- हम तो करेंगे
- निरुत्तर हवा
- सौगंध
- दिल मत तोड़ो
- सोचने की बात ये है