ये क्या हुआ यमराज को?
(भारत में कुपोषण के शिकार बच्चों देखकर रोने लगे यमराज)
लेटें तो करवटें बदलें,
उठें तो बावली-उतावली में टहलें।
टहल-चाकरी के लिए यमदूत आए,
विलास की सामग्री लाए।
यमराज ने आवेग से थाल में हाथ मारा
फिर अश्रुपूरित नेत्रों से चारों ओर निहारा।
एक यमदास बोला झुकाकर शीश—
हे डैथर्षि, हे मौताधिपति, हे डैथाधीश!
आपकी आंखों से आंसुओं की धारा!
इससे तो हिल गया यमलैंड सारा।
रुदनावरत यमराज की वाणी आई—
मैंने तो पिछले सौ साल में
धरती पर इंसान की उम्र बढ़ाई!
एक से एक अच्छी दवाई
यमलैब में बनवाई!
ताकि लोग पूरी उम्र जिएं,
जीवन-रस पिएं।
अब कैसे करूं फेस?
सामने है चित्रगुप्त का डेटाबेस!
ये क्या हुई बात?
भारत में मौत से जूझते
नन्हे-नन्हे बच्चों की इतनी तादात!!
यमदास बोला—
एक तरफ अनाज सड़ रहा है,
दूसरी तरफ बच्चों को कम पड़ रहा है।
मध्यवर्ग के लिए आ रही है एफडीआई!
ग़रीबों के लिए निष्क्रिय है एफसीआई?
किसान भरपूर अन्न उगाता है,
बच्चों के पेट तक नहीं जा पाता है।
पेट भर रही हैं मल्टीनेशनल कम्पनियां।
यमराज बोले— अब यहां से भागो मियां!
देखो कि प्रशासन में कितनी गंदगी है,
ग़नीमत है कि
प्रधानमंत्री को शर्मिन्दगी है।