सरकार की बाउंड्री में अन्ना का चौका
(नर्तन और परिवर्तन की पूर्ण क्षमता सिर्फ़ युवाओं में होती है।)
दो अप्रेल ग्यारह का इंडिया गेट
और नौ अप्रेल ग्यारह का जंतर-मंतर,
बताइए क्या थीं समानताएं
क्या है अंतर?
हमने कहा, अच्छा है आपका प्रश्न,
समानता ये कि
दोनों में था जीत का जश्न।
दो को देश में वर्ल्ड कप लाने का,
नौ को देश के कप से
भ्रष्टाचार भगाने का।
दोनों स्थानों पर हाई था
भावनाओं का वोल्टेज,
दोंनों को मिली
चकाचक मीडिया कवरेज।
दोनों टीआरपी बढ़ाऊ थे,
मोबाइल कंपनियों के मुनाफ़े
ग़ज़बढाऊ थे।
युवा ऊर्जा के साथ खड़ी थी हर पीढ़ी,
दोनों मैदान समतल बिना सीढ़ी।
यानी उल्लासावेग का सरलीकरण,
ग़रीब के लिए जटिल समीकरण।
अंतर ये कि दो को क्रिकेट के बहाने
नाचने का मौक़ा था,
नौ को सरकार की बाउंड्री में
अन्ना का चौका था।
प्यारे अन्ना हज़ारे!
सात्विक स्वत:स्फूर्त आक्रोश के कारण
हम साथ हैं तुम्हारे!
पर ‘वाम’देवों ‘राम’देवों ‘नाम’देवों
और ‘दाम’देवों से बचना,
ऐसी हो व्यूह-रचना!