रिश्तेदार प्रसंग चालू आहे
(पति-पत्नी का अगला सिर-धुन फिल्मी संगीत)
—अरे बिल देके देखो,
बिल देके देखो
बिल देके देखो जी!
आटे का दालों का, बिल देके देखो जी,
धोबी का, लालों का, बिल देके देखो जी।
—धीरे-धीरे बोल कोई सुन्ना ले,
सुन्ना ले कोई सुन्ना ले।
—अरे ओ सुन्ना।
बीवी के रिश्तेदारो।
ज़रा तुम बाहर आओ।
आज तो मंगल है।
आज का वादा है।
अरे तुम बोले थे,
पिछले ही मंगल को,
कि हम सब चले जाएंगे,
अगले ही मंगल को।
अरे जाओ, जाओ जाओ जाओ जाओ।
मंगल को किया तुमने जाने का वादा,
फिर भी टिके रहने पे हो, आमादा।
तुमने रुलाया मुझे, सुन्ना सुन्ना, ए हे!
—अब छूटी हैं रुलाइयां
उन्होंने भी तो मारी थीं मलाइयां,
आए तुम्हारे रिश्तेदार जो,
छूटी हैं रुलाइयां।
—आईं जो भौजाइयां
उन्होंने सारी फाड़ी हैं रजाइयां!
मेरे न ऐसे रिश्तेदार जी।
—रोको भी रुलाइयां!
बनो न तुम ऐसे महा काइयां!!
मेरे पीहर वालों पे तो, आंसू बहाते हो,
अपने जो आएं उनसे, लाड़ लड़ाते हो।
रोको भी रुलाइयां!!
जारी रहेगी तकरार जी!