राजकुमार का काला चश्मा
(कुत्सित सत्य आहत करें तो ये चश्मा राहत क्यों देता है?)
राजकुमार अपना काला चश्मा
तब नहीं लगाता
जब धूप का उजाला हो,
तब नहीं लगाता
जब किरणों में ज्वाला हो।
इनसे तो अपने चश्मे को बचाता है,
ख़ास-ख़ास मौकों पर ही
अपना काला चश्मा लगाता है।
भिखारी को भीख या सीख
कुछ नहीं देता है,
बस, काला चश्मा लगा लेता है।
कल भैया के नाश्ते में दही था,
उसकी प्लेट में नहीं था।
भैया कमाता है चार पैसे लाता है,
नाश्ता तो करता है राजकुमार
पर पहले काला चश्मा लगाता है।
अख़बार में दैया री दैया,
गुवाहाटी के गुंडे गिद्धों के गुनाह
और अकेली घायल गुमसुम गौरैया… !
काला चश्मा लगाते ही राजकुमार
सब कुछ भूल जाता है…. क्यों?
फिर टूटे दरवाज़े वाले ग़ुसलख़ाने में
चश्मा लगाकर गुनगुनाता है…. क्यों?
बाल कढ़ते समय— काला चश्मा!
पुस्तक पढ़ते समय— काला चश्मा!
घर की बिजली जाते ही— काला चश्मा!
अंधी गली आते ही— काला चश्मा!
उजली गली में काला चश्मा उतारकर
अचानक जागता है…. क्यों?
और फिर से दिखें गुंडे गिद्ध व गौरैया
तो काला चश्मा लगाकर राजकुमार
उल्टा भागता है…. क्यों?