पुन्ना की ग़मगीन गायकी
(बच्चा हो या बूढ़ा सुर की मार बड़ी तगड़ी होती है)
नन्हा-मुन्ना
छोटा-सा पुन्ना
संगीत का
परम शौकीन था,
पर
रियाज़ के समय
बुआ ने
कमरे से निकाल दिया
इसलिए ग़मगीन था।
गाने की आवाज़
दरवाज़े के बाहर तक
लहराती हुई
आ रही थी,
बुआ तन्मय होकर
गा रही थी—
जोगी मत जा
मत जा
मत जा…. ।
बेचारा पुन्ना
दरवाज़े से कान लगा कर
खड़ा रहा खड़ा रहा!
अंदर जाने की
तमन्ना पर अड़ा रहा।
सुरों का मतवाला,
बुआ के रियाज़ में
उसने विघ्न नहीं डाला।
पर ग़म और गुस्से में
झरने लगे आंसू,
हिचकियों की ताल पर
उसने भी
रोते-रोते
छेड़ दिया
एक राग धांसू—
जोगी चला जा
चला जा
चला जा।