प्रसन्नता की सन्नता के नज़ारे
(ऐसे दृश्य जो प्राय: अख़बारों में नहीं छपते-दिखते)
ज़रा करिए ग़ौर
संकट का दौर
और….
आपके चेहरे पर
इतनी प्रसन्नता इतनी खुशी?
वे बोले—
अब दो वक़्त
राशन कम नहीं पड़ेगा
घर के दो बंदों ने
कर ली है
ख़ुदकुशी।
फिर सामूहिक आत्महत्या
कर ली पूरे परिवार ने,
तो कहा
उत्तराधिकारी रिश्तेदार ने—
कृपया इनका वारिस
किसी और को बनाएं,
इन्हें फूंकने के लिए
लकड़ियां कहां से लाएं?
गोदाम भरे पड़े हैं,
लोग बाहर भी मरे पड़े हैं।
जमादार लाशों को
कूड़े की तरह ढो रहा है,
हे भगवान,
ये क्या हो रहा है?
भगवान ने
अधर बड़ी मुश्किल से खोले,
और कराहते हुए बोले—
ये दृश्य
मेरी फ़िल्म से निकाल दो,
फिलहाल
दो बूंद गंगाजल
मेरे मुंह में भी
डाल दो।