प्रभु जी! अरजी कहां लगाऊं?
(भक्त की अरदास कि काम कैसे बने)
प्रभु जी!
अरजी कहां लगाऊं?
हर खिड़की पर
झिड़की पाई
कैसे काम बनाऊं?
कल आना कल आना,
सुनि-सुनि
मैं कैसे कल पाऊं?
बेकल भयौ
न कल जब आवै
बरबस कलह बढ़ाऊं।
कलह बढ़ै,
पर काम न हौवै,
सिर धुनि धुनि पछताऊं।
खाय कसम
अब रार न करिहौं
पुनि-पुनि मिलिबे जाऊं।
फाइन की
लाइन में भगवन
दिनभर धक्का खाऊं।
साहब ने
साहब ढिंग भेज्यौ,
साहब के गुन गाऊं।
गुन सुनि कै
साहब नहिं रीझ्यौ,
अब का जुगत लगाऊं?
रिश्वत पंथ दिखायौ
प्रभु जी,
चरनन वारी जाऊं।
प्रभु जी,
अरजी पुन: लगाऊं,
प्रभु जी,
अरजी पुन: लगाऊं!