हर उम्र की अपनी चिंताएं होती हैं। प्रौढ़ होते हुए दो व्यस्कों आजकल जब आपस में बतियाते हैं तो प्राय: उनकी चिंताएं अपने बच्चों को लेकर होती हैं। उनके दिमाग़ों में जो विचार आते हैं, वे आत्मसंघर्ष करके टकराते हैं और कई बार वे समझ ही नहीं पाते हैं कि वे किन समस्याओं से वे जूझ रहे हैं।
Comments
Comments are closed.