बच्चे कितने कल्पनाशील होते हैं, आप अनुमान नहीं लगा सकते। उनकी कल्पना की भुरभुरी कोमल ज़मीन पर जो बीज पड़ते हैं, वे बड़े मौलिक होते हैं। उनसे निकलने वाले अंकुर अगर बड़े हो जाएं तो ऐसा वृक्ष बनें जिसकी निर्मिति की कल्पना कोई बड़ा आदमी कर ही नहीं सकता। ऐसे ही एक बच्चे की कल्पना-गाथा आपको सुनाता हूं और अगर आपको लगे कि ये कल्पना कितनी अच्छी कल्पना है तो अभिनन्दन करिएगा उस बच्चे का।
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