लीजिए अशोक चक्रधर ने सोचा है की अपने मित्रों और चाहकों के लिए नियमित रूप से कुछ श्रव्य सामग्री परोसी जाए। सिलसिला आज से शुरू किया जा रहा है। यहाँ रहेगी कुछ बतकही, कुछ कविताई, कुछ जीवन-जगत की समीक्षाई! विधा कोई भी हो आपको मिलेगी सुनने की सुविधा!
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