पर हम यहीं पर रहेंगे सदा
(फिल्मी धुनों पर ही पति-पत्नी का मेहमान से अंतिम संवाद-संगीत)
—ना मेरे आएं, ना तेरे आएं,
फैले न कोई झमेला।
बीवी हो घर में, और हो न कोई,
बंदा रहे ये अकेला।
मेहमानों से रखनी न प्रीत,
आज से कसम ये खाते हैं।
अब लौट न आना. . .
—सलाम प्रणाम मैं आ गया।
—जहां भी रहता हूं, वहीं चले आते हो,
बिना बुलाए मेरे घर में घुस आते हो,
ये तो बताओ कि तुम, मेरे कौन हो?
—सुन मेरे बंधू रे
सुन मेरी बहना सुन मेरे साथी रे. . .।
बाबाजी तुम्हारे सुन लो, किरोड़ी के भाई थे
उन्हीं किरोड़ीजी का मैं,
सबसे बड़ा नाती रे। सुन मेरे …
लता बुआ मथुरा वाली, लगें मेरी मौसी
रिश्तेदार दोनों का हूं,
याद बड़ी आती रे। सुन मेरे…
होता है दुनिया में सबका, सबसे ही नाता
रिश्तेदार मानव सारे,
रंग वर्ण जाती रे। सुन मेरे…
जीना यहीं, मरना यहीं,
अब ना मुझे जाना कहीं।
हम हैं यहां, हम हैं यहीं।
इस घर में तुम रहो ना रहो,
पर हम यहीं पर रहेंगे सदा।
जाओगे तुम, जाएंगी ये
पर हम यहीं पर घुमाएं गदा।
तुम हो जहां, हम हैं वहां
इसके सिवा जाना कहां।