नैन हुए जलधारे क्यों?
(सवाल एक नहीं अनेक हैं आपस में जुड़े हुए)
नैन हुए जलधारे क्यों,
कोई किसी को मारे क्यों?
तुम इतने बेचारे क्यों?
उनके वारे न्यारे क्यों?
हम तो ऐसे कभी न थे
बदल गए हम सारे क्यों?
पत्ती से पूछे चिडि़या
पेड़ की ख़ातिर आरे क्यों?
जिनके रहते हिम्मत थी,
वे ही हिम्मत हारे क्यों?
दिल ही जिनके बहरे हैं
दिल से उन्हें पुकारे क्यों?
उनके लिए महल कोठी
तुझको ईंट और गारे क्यों?
गंगा शीश झुकाय नहीं,
सागर चरण पखारे क्यों?
सहने की भी सीमा है
मिलते नहीं सहारे क्यों?
आंखों के मीठे सपने
बहकर हो गए खारे क्यों?
रात में बादल धुंध धुआं
दिन में दिखते तारे क्यों?
सन्नाटों से गूंज रहे
गांव गली गलियारे क्यों?
गोरी से दरपन पूछे
कारे कान्हा प्यारे क्यों?