नारी के सवाल अनाड़ी के जवाब
प्रश्न 1. अनाड़ी जी, धर्म की आड़ में फैल रहे भ्रष्टाचार के बारे में आप क्या कहेंगे?
रोज़ी गुप्ता
द्वारा-खुशहाल सिंह, मकान नं. 99, सैक्टर 2, नानक नगर, जम्मू-180004
जो भ्रष्टाचार फैल रहा है
धर्म की आड़ में,
वो जाए भाड़ में!
जब वह स्वाहा होने लगेगा आग में,
तब उसका धुआं नहीं ठहरेगा
तुम्हारे दिमाग़ में।
वैसे जिसको जो सूझे
उसके लिए वही रास्ता है,
धर्म तो अपनी-अपनी आस्था है।
फिर, किसी भी रास्ते पर
अगर अंधे होकर
चलते चले जाओगे,
तो किसी अंधे मोड़ पर लड़खड़ाओगे,
या रास्ता दिखाने वाले
ठगों द्वारा छले जाओगे।
ईश्वर आंखें खोलता है
बन्द करना नहीं सिखाता,
रोज़ी, इससे ज़्यादा मुझे नहीं आता।
प्रश्न 2. अनाड़ी जी, इंसान को अपने जन्मदिन पर उम्र एक साल बढ़ जाने पर खुश होना चाहिए या उम्र एक साल कम हो जाने पर दुखी होना चाहिए?
पूजा राघव
w/o श्री राजकुमार राघव
X 3700/2, स्ट्रीट नं. 6, शांति मौहल्ला,
गांधी नगर, दिल्ली-110031
जन्मदिन दुख को
कभी नहीं मारता लिफ़्ट,
उसे भगाने के लिए
दिलवाता है गिफ़्ट।
बताओ, अपने जन्मदिन पर
कौन रोता है?
उम्र बढ़ने का दुख हो
तब भी ख़ुश होता है।
जन्मदिन अमृतमयी है
विष नहीं भरता,
दुख होता है तब
जब कोई विश नहीं करता।
प्रश्न 3. अनाड़ी जी, दिल में जीने की इच्छा ख़त्म हो जाए तो क्या किया जाए?
नग़मा अरशद
20 मुस्तफाबाद, नियर ओल्ड हाउस डॉ. उस्मानी
मउनाथभंजन-275101 (उ.प्र.)
अगर तुम्हारे पास
कोई सच्चा गुरू हो,
वह यही कहेगा कि
असल ज़िन्दगी वो है
जो इच्छाओं के
ख़त्म होने के बाद
शुरू हो।
प्रश्न 4. अनाड़ी जी, भगवान न करे, अगर विज्ञान ने तरक्की कर ली और पुरुषों का गर्भवती होना आसान हो गया तो आपके शब्दों में आने वाले समाज में क्या होगा?
आरती प्रियदर्शिनी ‘चंचल’
w/o श्री जे.पी.सिंह
मकान नं. 63 ‘ए’, सैक्टर 3, जंगल सालिकग्राम,
शिवपुर सहबाजगंज, गोरखपुर-273014 (उ.प्र.)
पहली बात तो ये कि अगर होगा
तो गर्भवती नहीं गर्भवान होगा,
गर्भ धारण करने पर
उसे अभिमान होगा—
कि यही एक क्षेत्र था
जहां नारी थी आगे,
अब मौक़ा मिला है
तो ज़िम्मेदारी से क्यों भागे!
प्रकृति भी देखकर मुस्कुराएगी,
जब पिता-पुरुष प्रसव करेगा
और मां दूध पिलाएगी।
प्रश्न 5. अनाड़ी जी, बेटे-बेटी में भेद करने में अक्सर आगे रहती है नारी, ऐसा क्यों होता है, कैसी लाचारी?
दिव्या कौशिक
चन्दन सागर वैल, बीकानेर-334001 (राज.)
सही सुनना चाहती हो तो
कहूं मैं?
नारी बेटे-बेटी में
भेद नहीं करती
भेद करती है
बेटी और बहू में।
मुख्य बात ये है कि
कौन किसका दिल जीते,
ज़िन्दगी बीते प्रेम-रस पीते।
प्रश्न 6. अनाड़ी जी, बुजुर्ग कहते हैं कि हमेशा अपने से नीचे वालों को देखकर जिओ, सुखी रहोगे, जबकि बच्चे कहते हैं अपने से ऊंचे लोगों को देखकर जिएंगे तभी सुखी रहेंगे। समझ नहीं आता कि कौन सही है कौन ग़लत?
मधु मोदी
II-ई, 235, जे.एन.वी.कॉलोनी
बीकानेर (राज.)
सोच की ये परम्परा
सदा से रही है,
उम्र के लिहाज से
दोनों का सोचना सही है।
बच्चे अगर ऊपर नहीं देखेंगे
तो बढ़ेंगे कैसे?
बुज़ुर्ग अगर नीचे नहीं देखेंगे
तो अपनी लाचारियों से
लड़ेंगे कैसे?
प्रश्न 7. अनाड़ी जी, कवि लोग काव्य में स्त्रियों के सौन्दर्य का वर्णन ही क्यों करते हैं, पुरुषों का क्यों नहीं?
राज कुमारी जैन
एफ-120, प्रगति विहार हॉस्टल, लोधी रोड
नई दिल्ली-110003
पुरुष की तुलना में स्त्री को
प्रकृति ने ज़्यादा सुंदर बनाया है,
कमनीय काया ने सदैव
पुरुष को लुभाया है।
जैसे ही आती है
पुरुष की दृष्टि में
मादक-मोहक भावना,
वैसे ही आगे बढ़ती है
सृष्टि की संभावना।
संबंध बदल जाता है
आत्मीयता की घनघोरता में,
लेकिन मानवता जैसा
नहीं होता है मोरता में।
सुंदर मोर नाच-नाच कर
असुंदर सी मोरनी को रिझाता है,
इस तरह अपना वंश बढ़ाता है।
मोरपंखों की छटा जब
मोरनी को जंचती है,
तब वह मोर के सौंदर्य पर
काव्य रचती है।
दूसरी मोरनियां कहती हैं वंसमोर!
काव्य सुंदरता पर ही होता है
हो चाहे किसी भी ओर।
प्रश्न 8. अनाड़ी जी, कहते हैं कि कर्ज, रोग और शत्रु को जड़ से ख़त्म कर देना चाहिए। कर्ज और रोग तो ख़त्म किए जा सकते हैं, परंतु क्या आप शत्रु को ठिकाने लगाने का तरीका बता सकते हैं?
वरूणा गोयल
9, एम आई जी, ममफोर्ड गंज
त्रिपाठी चौराहे के पास
इलाहाबाद-211002
अगर आप रोगी और कर्ज़दार हैं
मुफ़लिस और बीमार हैं,
तो किसी में भी
आपसे मित्रता करने का
मन ही नहीं होगा,
और अगर स्वस्थ-सम्पन्न हैं
तो कोई दुश्मन ही नहीं होगा।
याद रखिए
कर्ज़ और रोग जैसे ही
भग जाते हैं,
सारे शत्रु अपने आप
ठिकाने लग जाते हैं।