नारी के सवाल अनाड़ी के जवाब / 107 / अप्रैल / 2012
प्रश्न 1. कहीं सुना है कि अच्छी बीवी, ईमानदार पति और भूत एक जैसे होते हैं, आपका क्या कहना है? अनाड़ी जी।
वीना साधवानी
3 गांधी नगर
अकोला-444004 (महा.)
वीना, जो बात तुमने कही,
वो है हंड्रैड परसेंट सही।
अच्छी बीवी और ईमानदार पति
चूंकि एक-दूसरे से प्यार करते हैं अकूत,
लड़ते हैं, झगड़ते हैं
ध्यान रखते हैं, मान देते हैं
एक-दूसरे से चिपटे रहते हैं
इसलिए होते हैं भूत।
एक-दूसरे के दुख में दर्द में,
आनन्द में, तक़लीफ़ में
मुंह नहीं मोड़ते हैं,
इसलिए मर कर भी पीछा नहीं छोड़ते हैं
पत्नी बड़े लाड़ से कहती है—
ए जी!
हम दोनों के दोनों भूत हैं न
जीते जी।
प्रश्न 2. अनाड़ी जी, जब नारी व पुरुष एक सिक्के के दो पहलू सम हैं फिर भी नारी अबला क्यों कही जाती है?
शैलजा सक्सेना
द्वारा-डॉ. नीरज सक्सेना
सी/3, नया जिला अस्पताल
शाहजहांपुर-242226 (उ.प्र.)
जो नारी को कहते हैं अबला
उनकी खोपड़ी पर
नारी अब बजाने लगी हैं तबला।
हां, नर-नारी दोनों
एक सिक्के के दो पहलू हैं,
पता नहीं पुरुषों के दिल
क्यों दहलू हैं?
इन लोगों की बुद्धि में है
भयानक टोटा,
सिक्के का एक पहलू चलन में हो
तो दूसरा पहलू
कैसे हो सकता है खोटा।
प्रश्न 3. अनाड़ी जी, आप इतना सकरात्मक सोचते हैं, इतना प्रभावशाली बोलते व लिखते हैं तो क्यों नहीं आप नेता या अभिनेता बन जाते हैं?
सुगम सिंह
द्वारा-गौरव सिंह
30/51, स्ट्रीट नं. 8, विश्वास नगर
नई दिल्ली-110032
मोबाइल-09310803225
आपका सोच सकारात्मक है,
लेकिन आपकी कामना का
एक हिस्सा नकारात्मक है।
मुझे आप
क्यों बनाना चाहती हैं नेता?
खामांखां बन जाऊं
लेता और देता!
जो हूं सो हूं,
अभिनेता तो हूं।
इतना कहूं,
कि अभि-नेता में
आधा नेता भी हूं।
लेकिन ये नहीं जानते सभी,
कि क्या हूं मैं अभि-नेता में ‘अभी’!
प्रश्न 4. अनाड़ी जी, सच्चाई अगर इतनी ताक़तवर होती है तो फिर वो झूठ के सामने कमज़ोर क्यों पड़ जाती है?
शकुंतला माथुर
667/667, फोर्थ फ्लोर
बापू पार्क, कोटला मुबारकपुर
नई दिल्ली-110003
ये बात ज़माने की
समझ में नहीं आई,
कि कभी भी कमजोर
हो नहीं सकती है सच्चाई।
सौम्य होती है शालीन होती है,
मोहब्बत मानती है,
स्वागत का क़ालीन होती है।
अपनी क्षमता ज़्यादा दिखाती नहीं है,
दूसरों को नुकसान न हो जाए
इस चिंता में सामने आती नहीं है।
लेकिन झूठ के पांव कितने?
झूठ के दांव कितने?
असली छांव होती है सच्चाई में,
जब झूठ ज़्यादा अकड़ दिखाए
तो मुस्कुरा कर कहती है—
लो आई मैं।
प्रश्न 5. अनाड़ी जी, आजकल भ्रष्टाचार को लेकर तरह-तरह के आंदोलन किए जा रहे हैं।
आपकी नजर में भ्रष्टाचार दूर करने के लिए क्या किया जाना चाहिए?
सरला सक्सेना
4-बी, बल्लभनगर कॉलोनी
पीलीभीत (उ.प्र.)
भ्रष्टाचार के ख़िलाफ आन्दोलनों से
ग़ुस्सा तो ज़रूर बढ़ जाएगा,
लेकिन भ्रष्टाचार कम नहीं हो पाएगा।
अकाध को छोड़कर
आन्दोलनकारियों के नेता ही भ्रष्टाचारी हैं,
स्वयं को नहीं देखते
दूसरों को बताते दुराचारी हैं।
अरे, पहले अपने अन्दर झांको,
फिर दूसरे का भ्रष्टाचार आंको।
मैंने अख़बार में पढ़ा है
कि अन्ना के आन्दोलन के बाद
भ्रष्टाचार का ग्राफ और ऊपर चढ़ा है।
गुपचुप चलता है,
ग़रीब हाथ मलता है।
भ्रष्टाचारी कहता है—
इत्ते हमारे, इत्ते तुम्हारे
का कल्लेंगे अन्ना हजारे।
प्रश्न 6. अनाड़ी जी, आज का प्यार दिखावा है, छलावा है, सच्चे प्यार के लिए क्या करे प्रेमी?
तनराज ठाकुर
द्वारा- आर.के.ठाकुर
पांडव रोड, विश्वास नगर
शाहदरा, नई दिल्ली-110032
मोबाइल-09311119091
सच्चे प्रेम में
दिखावा या छलावा नहीं होता है,
थोड़ा-बहुत हो भी
तो ईमानदारी का दावा नहीं होता है।
हां प्रेम में होती है बावली-उतावली
जो करती है बेकरार,
सच्चे प्रेमी को करना चाहिए
सच्चे प्रेम का इंतज़ार।
प्रश्न 7. अनाड़ी जी, कहा जाता है कि महाभारत के चित्र घर में नहीं लगाने चाहिए क्योंकि इससे सामाजिक कलह को बढ़ावा मिलता है, लेकिन जब टी.वी.सीरियल ‘महाभारत’ को घर-घर में प्रेमपूर्वक देखा गया तब इस कलह के बढ़ने की तरफ ध्यान क्यों नहीं गया?
कमला देवी गुप्ता
द्वारा- प्रो. एस.के.गुप्ता
बी.एच.97, पं. दीनदयाल नगर
ग्वालियर-474002 (म.प्र.)
फोन-0751-2470483
घर-घर में लगे होते हैं
कृष्ण के, राधा-कृष्ण के,
अर्जुन-कृष्ण के चित्र,
वे भी तो हैं महाभारत के चरित्र।
महाभारत के जीवन-मूल्यों का रस तो
पुरुष मज़े से चखते हैं,
लेकिन अपनी सिक-मानसिक ग्रंथियों
और स्त्रियों की बगावत के डर से
ग्रंथ घर में नहीं रखते हैं।
महाभारत की कहानियां
हर किसी को भाती हैं,
आदरणीया एकता कपूर भी तो
भारत में महाभारत ही दिखाती हैं।
प्रश्न 8. अनाड़ी जी, मैं आपसे बेहद प्रेम करती हूं, आपके हास्य-व्यंग्य पर मरती हूं, मैं भी लेखिका व कवयित्री हूं। अब बताइए इस प्रेम को क्या नाम दूं?
ब्रह्माणी वीणा
द्वारा-दीपक खरे
फ्लैट नं. सी-501, इंडियन ऑयल एपार्टमेंट्स
प्लॉट नं. सी-58/23, सैक्टर-62, नौएडा
मोबाइल-9953505548
मुझको मदहोशी की ख़ातिर तो कोई जाम न दो,
मैं करूं काम बहुत, तुम मुझे आराम न दो,
कामना है कि लिखूं मैं भी और तुम भी लिखो
प्रेम को प्रेम ही रहने दो, कोई नाम न दो।