प्रश्न 1. अनाड़ी जी, ‘मोहे न नारि नारि कर रूपा’, एक नारी का रूप दूसरी नारी को मोहित क्यों नहीं करता?
चन्द्रकांता यादव
चांदीतारा, साहूपुरी
चन्दौली (उ.प्र.)
नर हो या नारी
मोहित करते हैं गुण,
परेशानी तब आती है
जब मोह बन जाता है अवगुण।
मर्यादा तब है
जब एक मोहन या मोहिनी ही सोहे
बाकी पर लिखती रहो दोहे।
प्रश्न 2. अनाड़ी जी, नारी हर वक्त क्यों रहती है बेचारी, जबकि उस बिन नहीं महकती संसार की क्यारी, हर काम में नर के बाद क्यों आती है उसकी बारी?
शैफाली सिन्हा
8/4, front side, first floor
रूपनगर, दिल्ली-110007
मोबाइल 9999151247
पुराने वक्त का सूरज ढल रहा है,
नए सूर्योदय के साथ
वक्त बदल रहा है।
हर कोई जानता है कि
जननी में इतनी महारत है कि वह
सुख चखवाने के बाद चखती है,
इसलिए नर को आगे रखती है।
दुनिया कुछ भी कहे
या आगे भी कहेगी,
पर नारी हमेशा
पीछे रहकर भी आगे रहेगी।
प्रश्न 3. अनाड़ी जी, क्या आपको लगता है कि लोकपाल, भ्रष्टाचार मिटाने का करेगा कमाल?
दीपाली शुक्ला
फ्लैट नं. टी-1, अमरज्योति अपार्टमेंट
बी-218, शाहपुरा
भोपाल-462039 (म.प्र.)
जो शीर्ष पर होगा
वो लोकनिंदा से हमेशा डरेगा,
पर जाने-अनजाने
कोई न कोई गलती ज़रूर करेगा।
शीर्ष पर अगर होगा लोकपाल
तो वह भी मनुष्य ही होगा
न कि देवलोकपाल।
खुद भले ही न करे
पर छिपाएगा अपनों के गोलमाल।
अंबेडकर ने कहा था
कोई ख़राब से ख़राब संविधान
अच्छे से अच्छे लोग चलाएं
तो लोकतंत्र बचेगा,
लेकिन अच्छे से अच्छे संविधान को
ख़राब लोग चलाएं तो
चक्रव्यूह रचेगा।
प्रश्न 4. अनाड़ी जी, मेरी समझ में एक बात नहीं आती, जो हस्तियां कुंवारी अपने पैरों पर खड़ी हैं, उन्हें सैकिण्ड-हैंड आदमी को जीवन-साथी बनाने में दिलचस्पी क्यों है? करिश्मा-संजय, करीना-सैफ, सानिया-शोएब, लारा-महेश।
रजनी गर्ग W/o. लवदीप गर्ग
म.नं. 21734, शिव मंदिर वाली गली
पावर हाउस रोड, भटिण्डा (पंजाब)
अल्हड़ बीकानेरी ने कहा था
दाता एक राम
भिखारी सारी दुनिया,
शादी-शुदा होके भी
कुंआरी सारी दुनिया।
संजय, सैफ, सानिया हों या लारा,
पता नहीं कब किसे
कौन लग जाए प्यारा।
इसलिए अपने प्यार को ऐंजॉय कीजिए,
उससे हाथ मत खींचिए।
प्रश्न 5. अनाड़ी जी, नारी का आभूषण अगर लज्जा है तो सोने चांदी के आभूषण उसे क्यों रास आते हैं?
मंगला रस्तोगी
सी-9, राजू पार्क, खानपुर
नई दिल्ली-110062
नारी का आभूषण बताया हमें लज्जा,
पर उस लज्जा को भी चाहिए सज्जा,
तभी तो ख़ूबसूरत बनती है
मांस मज्जा।
पशु होते हैं लज्जाविहीन,
उनके पास कपड़े मोटे हैं न महीन।
न महल-दुमहले न कालीन,
फिर भी दिखते हैं शालीन।
प्रश्न 6. अनाड़ी जी, यदि नारी देवी का रूप है तो नर देवता का क्यों नहीं?
डॉ. पंकज गुप्ता
C/o. श्री शैलेन्द्र गुप्ता (Sr. Manager Credit)
यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया
सिबसागर रीजनल ऑफिस, दोहाबोरा रोड
जोरहाट-785001 (असम)
मोबाइल-09678008421
नारी तो देवी होकर भी
खामोश है चुपचाप है,
लेकिन नर तो
देवताओं का भी बाप है,
क्योंकि कष्ट नहीं सहता है
जनन के जापे में नहीं रहता है,
इसलिए बहुत बोलता है
आपे में नहीं रहता है।
प्रश्न 7. अनाड़ी जी, क्या है नारी! पुरुष का संबल या बच्चों की महतारी? दो नावों की सवारी करते-करते डर है कहीं गिर न जाए! तूफानों के भंवर में कहीं फंस न जाए! यदि फ़ंसी तो क्या उसका संबल उसे सहारा देगा? उसे निःस्वार्थ आगोश में लेगा?
रंजना शर्मा
वापी (वलसाड़)
गुजरात-396191
पुरुष का संबल बनते बनते
नारी ख़ुद ढूंढने लगती है सहारा,
सोचती है दुबारा, तिबारा, चौबारा।
बहती रहती है दो किनारों के
घाटों के बीच,
पिस जाती है
दो पाटों के बीच।
वह ख़ुद नहीं है
दो नावों पर सवार,
वह ऐसी नाव है जिसकी दो पतवार!!
कोई पतवार उल्टी घूम सकती है
उपेक्षा के घाव से,
मज़ा आएगा दोनों के रखरखाव से।