नारी के सवाल अनाड़ी के जवाब / 124 / अक्टूबर / 2013
प्रश्न 1. अनाड़ी जी, मज़हब को इंसान ने बनाया या मज़हब ने इंसान को?
अंजलि
द्वारा-श्री आर.के.जैन
कमरा नं. 314, RAC, विश्वविद्यालय मैट्रो स्टेशन के पास
तिमारपुर, दिल्ली-110054
भगवान ने इंसान बनाया
इंसान ने बनाया मज़हब,
मजहबों ने
नए-नए भगवान बनाए
ये था इंसान का करतब!
प्रश्न 2. अनाड़ी जी, आजकल दूसरों का भला करने वालों को बेवकूफ समझा जाता है। इस बारे में आपकी क्या राय है?
डॉ. शालिनी
511, टैगोर हॉस्टल, मिंटो रोड
नई दिल्ली-110002
भलाई करने वाले
बेवकूफ़ों की नज़र में
बेवकूफ़ होते हैं
पर भले लोगों की नज़र में
होते हैं भगवान,
भलाई करने वाले
बताते नहीं हैं
अपनी पहचान।
प्रश्न 3. अनाड़ी जी, युवा छात्र-छात्राओं के बीच ‘आत्महत्या’ एक बीमारी की तरह फैल रही है। इन युवाओं को क्या सलाह देंगे?
दीपाली शुक्ला
फ्लैट नं. टी-1, अमर ज्योति अपार्टमेंट
बी-218, शाहपुरा, , भोपाल-462039
हारो जीवन में भले, हार जीत है खेल,
चांस मिले तब जीतना, कर मेहनत से मेल।
कर मेहनत से मेल, किंतु हम क्या बतलाएं,
डरा रही हैं, बढ़ती हुई आत्म-हत्याएं।
आज अनाड़ी कहे, निराशा छोड़ो यारो,
नहीं मिलेगा चांस, ज़िंदगी से मत हारो।
प्रश्न 4. अनाड़ी जी, इंसान हमेशा दो चीजों से हारता है, वक्त और प्यार, ऐसा क्यों?
शिल्पा पाटनी
W/o विकास पाटनी, स्टेशन रोड,
झुमरीतलैया-825409 जिला कोडरमा (झारखण्ड)
वक्त होता है कभी कोमल
कभी सख्त,
कभी फुटपाथ देता है
कभी तख्त।
प्यार कभी झंकार
कभी हुंकार,
कभी बिना शर्त समर्थन
कभी बिना बात का अहंकार।
लेकिन सबका जीवन
एक जैसा नहीं बीतता है,
कोई वक्त और प्यार के साथ
हारता है
कोई इन्हीं के सहारे
जीतता है।
प्रश्न 5. अनाड़ी जी, हमेशा लड़की ही दूसरे के घर बहू बन कर क्यों जाती है, लड़के दूल्हा बन दूसरों के घर सारी ज़िन्दगी क्यों नहीं रहते हैं?
लता ढेलारिया
6, शिवनगर, मेन मण्डिया रोड
पाली-306401 (राज.)
मेरा पुत्र ऑस्ट्रेलिया में रहता है
यानी मेरी होने वाली
पुत्रवधू के देश में,
मेरे अमरीकी दामाद
मेरे साथ रहते हैं
भारतीय परिवेश में।
लता जी, नज़र न लगे
कोई भी नहीं है
किसी भी क्लेश में।
ज़माना बदल रहा है
रूढ़ियों की खोहों से
निकल रहा है।
दोनों घर अपने हैं
लड़का हो या लड़की,
टूटते तब हैं
जब कोई भड़का हो या भड़की।
प्रश्न 6. अनाड़ी जी, कोई मोटी स्त्री क्या कहने से खुश होगी?
संगीता गुप्ता
द्वारा-श्री कृष्ण कुमार गर्ग
बी-4-बी, कुंवर सिंह नगर
नजफगढ़ रोड
नांगलोई, नई दिल्ली
पहले तुम लड्डू थीं
अब बरफी की
कतली हो गई हो,
सच्चेई
पहले से कितनी
पतली हो गई हो।
प्रश्न 7. अनाड़ी जी, लोग ये क्यों कहते हैं कि नारी को स्वयं भगवान भी नहीं समझ पाए तो हमारी क्या औकात है? क्या सचमुच नारी का व्यक्तित्व इतना रहस्यमयी है या पुरुष द्वारा नारी को बदनाम करने के लिए ये फैलाया गया शब्दजाल है?
मीना शाह
911, साउथ उकोगंज
रॉयल हाऊस, फ्लैट नं. 101, इंदौर-452001 (म.प्र.)
ये कथन भगवान का नहीं
किसी इंसान का है,
उसके भी किसी
व्यक्तिगत अनुमान का है,
जो स्वयं को सही
और स्त्री को ग़लत मानता है,
दरसल वह स्त्री की
हृदय-बुद्धि को नहीं जानता है।
प्रश्न 8. अनाड़ी जी, महिलाओं में सबसे ज़्यादा धैर्य और संयम होता है। फिर भी महिलाओं के पेट में कोई बात पचती नहीं, क्यों?
अंजना भटनागर
105/1, शास्त्रीनगर
मेरठ (उ.प्र.)
महिलाएं अपना
धैर्य और संयम बढ़ाती हैं
सुपचनीय विचारों से,
लेकिन कभी-कभी
दिमाग़ का
हाज़मा बिगड़ जाता है
गॉसिप के अचारों से।
फिर वे पेट खराब
करने की रिस्क नहीं लेती हैं,
जहां मौका मिले
उगल देती हैं।