नारी के सवाल अनाड़ी के जवाब
प्रश्न 1. अनाड़ी जी, अन्ना ने भ्रष्टाचार की समाप्ति का बिगुल बजाया है। क्या आपको लगता है कि ऐसे आंदोलनों से भ्रष्टाचार समाप्त हो सकेगा?
सरला सक्सेना
4 बी, बल्लभनगर कॉलोनी
पीलीभीत (उ.प्र.)
भ्रष्टाचार इस व्यवस्था में
रूप बदल-बदल कर
और अधिक व्याप्त होगा,
वह अन्ना से नहीं
आत्मन्ना से समाप्त होगा।
तब, जब आत्मा अनशन नहीं करेगी
अन्न खाएगी,
स्वयं को स्वस्थ बनाएगी,
मीडिया के आगे
स्वांग नहीं रचाएगी।
ये सब तमाशा है
पर मुझे अपने युवाओं से आशा है।
ये अनाड़ी उन्हीं की ओर तकता है,
युवा क्या नहीं कर सकता है!
प्रश्न 2. अनाड़ी जी, प्यार के बदले प्यार, वफ़ा के बदले वफ़ा क्यों नहीं मिलती?
अंजू लालगढ़िया
24, लोहा मंडी, मेन मार्केट,
श्रीगंगानगर-335001 (राज.)
फोन-01542440420
प्यार और वफ़ा की
अपनी अपनी परिभाषाएं हैं,
जो नहीं देख पातीं कि
दूसरी तरफ आपसे क्या आशाएं हैं।
अगर आपने भी बढ़ा ली हैं उम्मीदें,
तब प्यार और वफ़ा
कहीं और जाकर ख़रीदें।
फूल तुमसे पूछकर नहीं खिलते,
प्यार और वफ़ा मांगे से नहीं मिलते।
वे होते हैं तो होते हैं,
न समझने वाले रोते हैं।
इसलिए प्यार और वफ़ा में
नातों के भाव नहीं
भावों के नाते हों,
वे निर्मल निष्कलुष हों
न कि लेन-देन के बही-खाते हों।
प्रश्न 3. अनाड़ी जी, आप तो नारी की सूरत और सीरत दोनों से वाकिफ़ हैं। नारी के दर्द को भली भांति समझते हैं। नारी की ख़ामोशी भी पढ़ लेते हैं। तो क्या आप अपने अगले जन्म में नारी बनना चाहेंगे?
पन्नाराज ठाकुर
द्वारा-आर.के.ठाकुर
511/1बी12, स्ट्रीट नं.1 पांडव रोड,
विश्वास नगर, शाहदरा
दिल्ली-110032
मोबाइल-9311119091
अनाड़ी को फ़र्क नहीं पड़ता
उसे नर बना दो या नारी,
वो तो रहेगा कुदरत का आभारी।
पहेलियां नहीं बुझाएगा,
नर हुआ तो नारी को
नारी हुआ तो नर को रिझाएगा।
ये सृष्टि नहीं बनी है
फालतू में समाजशास्त्र
समझाने के लिए,
ये बनी है अंतर्मन से रिझाने के लिए।
प्रेम करते हो तो प्रेमपात्र बनो,
बन सकते हो तो एकमात्र बनो।
प्रश्न 4. अनाड़ी जी, आज के पढ़े-लिखे युवा जो विदेश में शिफ्ट हो रहे हैं और यदि मां-बाप वहां जाते हैं तो उनके द्वारा दुर्व्यवहार पाकर वापस घर आ जाते हैं, ऐसे बेटों से आप क्या कहेंगे?
अंजू अग्रवाल
द्वारा-अग्रवाल मेडिकल स्टोर
मेन बाजार, पोस्ट-धनपुरी-484114
जिला-शहडोल (म. प्र.)
फोन-07652250349
बेटों से तो नहीं
मां-बाप से कहेंगे,
यदि वे बेटे के साथ
बिना उसके मन को समझे रहेंगे।
सिर्फ अपनी चलाएंगे,
बहू से लाड़ नहीं लड़ाएंगे,
तो दुखी रहेंगे,
बहू को बेटी समझेंगे
तो सुखी रहेंगे।
कोई बेटा मां-बाप की
नहीं करता है निन्दा,
ये भी सच है कि
उड़ जाता है तो
मुड़कर देखता नहीं है परिन्दा।
प्रश्न 5. तख़ल्लुस रखा है आपने अनाड़ी, हमें तो लगते हैं ख़तरों के खिलाड़ी। भाभी को कब लाके देंगे नई साड़ी? सुना है आप अपनी पत्नी को उपहार देने में बड़े ही कंजूस हैं, क्या यह सच है?
रमणीक
डीएवी स्कूल, सैक्टर-2, तलवाड़ा
जिला-होशियारपुर (पंजाब)
तुम मियां-बीवी के बीच
बिना बात ऐंठी हो,
मन में पकाई खिचड़ी को
सच का हलुआ मान बैठी हो।
गनीमत है कि
हमारी लाख बुराइयों के बावजूद
वे पहनती हैं
हमारी लाई हुई ही साड़ी,
और उनके लाए कुर्ते ही
पहनता है अनाड़ी।
तुम्हारी बातों में कोई जूस नहीं है
अनाड़ी कंजूस नहीं है।
ऐसे मत दो घाव
अनाड़ी हैं तो धन से क्या लगाव!
प्रश्न 6. अनाड़ी जी, आप हमारे प्रश्नों का सटीक उत्तर देते हैं और खुद को अनाड़ी कहते हैं, ये मुझे मंजूर नहीं है। मैं आपको नया नाम देती हूं— ’सखा’। क्या आपको पसंद है?
आरती प्रियदर्शिनी ’चंचल’
W/o श्री जे.पी.सिंह
63-ए, मंदिर, सेक्टर 3
जंगल सालिकग्राम, शिवपुर सहबाजगंज
गोरखपुर-273014
मोबाइल-07860910843
सखा कहें या मनसुखा,
अनाड़ी का दिल कभी नहीं दुखा।
बाकी हर संबंध राख है,
सखी-सखा भाव में साख है।
जहां न उपेक्षा हो न अपेक्षा,
जहां न यमक श्लेष हो न उत्पेक्षा।
जहां न कटाक्ष न व्यंग्य हो,
बस उमंग-तरंग हो।
अनाड़ी संबोधन नहीं क्रूर है,
सखा भी मंजूर है।
प्रश्न 7. अनाड़ी जी, क्या यह सच है कि आज की नारी बनकर सबला, लेने लगी है पुरुष से गिन-गिन कर बदला?
दिव्या कौशिक
चन्दन सागर, वैल
बीकानेर
मोबाइल-09667003743
बदला लेकर
बद लाने से अच्छा है
सदला बनकर सद लाओ,
मिलकर पुरुष को समझाओ।
सदला यानि दल बनाकर
संगठित होकर,
निर्णय के बीज बोकर।
सबला तभी होगी
जब सदला हो,
सिर्फ एक का नहीं
सब का भला हो।