मत उकसा! उठा अपना बक्सा!!
(शराबी ट्रक ड्राइवरों के लिए एक सार्थक संदेश)
श्रीमानजी ने ख़रीदा एक ट्रक,
उस पर लिखवाया— गुड लक।
पर बैड लक देखिए ड्राइवर मिला शराबी,
ऊपर से पलट-जवाबी।
भोर की बेला में ही चढ़ा आया दारू,
श्रीमानजी जूता दिखा कर बोले— मारूं?
सुबह सुबह देसी ठर्रा,
मालिक के आगे भी शरम नईं कर्रा!
—साब जी! शरम करना ऐ खराब जी।
तुम अपना जूता अगर
टिरक के आगे लटकाओगे,
तो जादा फायदा पाओगे।
क्या हुआ जो पी ली ऐ,
हालत तो अपनीई ढीली ऐ।
तुम क्यों टाइट हो रए ओ?
गुस्से में लैफ्ट राइट हो रए ओ!
चुटीली बातें मत करो
जूते के साथ दो चुटीले भी लटकवाओ,
फिर भलेई टिरक बीमा भी न करवाओ।
खरोंच नईं आ सकती जरा सी!
श्रीमानजी बोले— मैं नहीं हूं अंधविश्वासी।
ट्रक पे कुछ लटकाने से पहले
तुझे न उल्टा लटकाऊंगा।
ड्राइवर बोला—
पर मैं तो
स्टीयरिंग पे हाथ लगाने से पहले
थोड़ी सी जरूर गटकाऊंगा।
श्रीमानजी बोले—
मुझे ज़्यादा मत उकसा,
उठा अपना बक्सा।
ट्रक पर मैं ये इबारत लिखवाऊंगा—
ड्राइवर ने अगर नशा कर डाला,
तो समझो
फोटो पर पड़ गई माला।