इक्का-दुक्का अपराध एक-आध
(अपनी इच्छा वाला बटन दबाने का मौका कब देगा हमारा जनतंत्र)
जब
हत्यारे के
हत्यारे के
हत्यारे के
हत्यारे की भी
हत्या कर दी गई!
पोस्टमार्टम रिपोर्ट
‘दुर्घटना’
शब्द से
भर दी गई।
तब वे
जनता से बोले—
अजी
कहां हैं अपराध?
यदा-कदा
इक्का-दुक्का
होते हैं—
एक-आध!
जनता बोली—
एक-आध में
‘एक’ अपराध ये कि
हम आपको सुन रहे हैं!
‘आध’ ये कि
इस बार भी
आपको ही
चुन रहे हैं!!
लोकतंत्र कब करेगा
ऐसा जतन,
जब हो
हमारी अपनी
इच्छा वाला भी
बटन!!