हर प्रश्न का उत्तर एक है?
(शब्दों की मलाई में अर्थों की चिरौंजी)
श्रीमान जी बोले—
यदि आपका जाग्रत विवेक है,
तो कौन कह सकता है
कि हर प्रश्न का उत्तर एक है?
एक और एक
दो होता है
सामान्य नर-नारियों के लिए।
एक और एक
तीन होता है
व्यापारियों के लिए।
एक और एक
ग्यारह होता है
सिद्धहस्तों के लिए।
लेकिन एक और एक
सिर्फ़ एक होता है
इश्कपरस्तों के लिए।
हमने कहा—
आप छोंकते रहिए
अपना विवेक
खोपड़ी की कढ़ाई में,
अर्थों की चिरौंजी
डालते रहिए
शब्दों की मलाई में,
पर हमारी तो
इश्कपरस्तों वाली टेक है
कि हर प्रश्न का
उत्तर एक है—
वो है प्रेम!
यानी सद्भाव और भाईचारा।
जिसके बलबूते हम कहते हैं—
सारे जहां से अच्छा
हिन्दोस्तां हमारा।