हंसी शब्दों की उलटफेर से
(जब शब्द आगे पीछे होते हैं या ज़बान फिसलती है)
अच्छा,
कभी-कभी
उस हंसी पर हंसी आती है
जो हंसी आती है देर से,
कभी-कभी
हंसी आती है
शब्दों की उलटफेर से।
इस चराचर में
चौरी-चौरा के चौबारे में
चारा-चोरी पर इसलिए हंसो
क्योंकि
हंसने के अलावा कोई
चारा नहीं है,
देखो
फंसने वाला भी हंस रहा है
क्योंकि वो बेचारा नहीं है।
फंसा शायद इसलिए
कि चारा सबके लिए
बराबर नहीं था,
शेयर घोटाले पर
इसलिए हंसो
क्योंकि घोटाले में शेयर
बराबर नहीं था।
हमारे एक मित्र
सीढ़ियों से फिसल गए,
वर्णन करने लगे तो
ऊटपटांग शब्द
उनके मुंह से निकल गए।
बोले—
कल रात
हम छत पर भले गए,
फिसली से ऐसे सीढ़े
कि सीढ़ते ही चले गए
सीढ़ते ही चले गए।