दुनिया नई बनानी है
(आज़ादी के बाद से कोशिश तो यही चल रही है)
खेतों की खलिहानों की
श्रमिकों और किसानों की
सोई शान जगानी है
दुनिया नई बनानी है।
सुल्तानों हैवानों की
बद्गुमान इंसानों की
चल न सकी मनमानी है
दुनिया नई बनानी है।
पर्वत की मैदानों की
खानों और खदानों की
लिखनी नई कहानी है
दुनिया नई बनानी है।
दबे ढंके अरमानों की
दीन दुखी इंसानों की
पीड़ा दूर भगानी है
दुनिया नई बनानी है।
सुर-संगीत घरानों की
सोए गौरव-गानों की
गरिमा वापस लानी है
दुनिया नई बनानी है।
प्रहरी वीर जवानों की
सेनानी बलिदानों की
दोहरानी क़ुर्बानी है
दुनिया नई बनानी है।
खादी के परिधानों की
खाकी के परधानों की
अब डुगडुगी बजानी है
दुनिया नई बनानी है।
जय हो अपने ज्ञानों की
वसुधा पर सम्मानों की
अपने पास जवानी है,
दुनिया नई बनानी है।