डूबते को सहारे के तिनके
(श्ब्द चाहे जिनके हो लेकिन ये किसी डूबते के लिए तिनके के सहारे की तरह भी हो सकते है)
बत्तीस पंक्तियों में
कभी तुम्हारे दिमाग की
बत्ती-सी जलाऊंगा,
कभी तुम्हारी
बत्तीसी खिलाऊंगा,
मैंने कल कहा था न
कल भी आऊंगा!
लो मैं आ गया हूं
सुनो!
मेरे शब्दों से
मनचाहे अर्थों को चुनो!
पर याद रखना
तुम चाहो तब भी
मेरे शब्दों का
अनर्थ कर नहीं सकते
क्योंकि
व्यर्थ नहीं हैं मेरे शब्द।
मेरे शब्द
शब्द नहीं हैं
डूबते को
सहारे के तिनके हैं,
और मेरे भी कहां हैं
ये शब्द
पता नहीं
किन किनके हैं,
इनके हैं उनके हैं।
या जिनके भी हैं
लो
मैं तुम्हें दे रहा हूं
गिन-गिन के,
हो सको तो
हो जाओ इनके। ***