दरबारी आसावरी गाओ कोई गीत
(दुमदार दोहों में जीवन के छोटे-छोटे दृश्य)
कली एक भंवरे कई,
परदे पायल पीक,
सामंती रंग-रीत की,
यह मुजरा तकनीक,
अभी तक क्यों ज़िन्दा है,
मुल्क यह शर्मिन्दा है।
उमर कटे खलिहान में,
यौवन भारी बोझ,
बापू सोए चैन से,
ताड़ी पीकर रोज,
हाथ कब होंगे पीले,
कहां हैं छैल-छबीले?
थाम लिया पिस्तौल ने,
तस्कर के घर चोर,
तस्कर बोला— बावले!
क्यों डरता घनघोर?
प्रमोशन होगा राजा,
हमारे दल में आजा।
नयनों के घन सघन हैं,
बरस पड़े ग़मनाक,
पापा ने इस उम्र में,
क्यों दे दिया तलाक?
स्वार्थ ने हाय दबोचा,
न मेरा कुछ भी सोचा।
घटीं हृदय की दूरियां,
मिटे सभी अवसाद,
मन नंदन-वन हो गया,
इन छुअनों के बाद,
प्यार से प्रियतम सींचे,
रंगीले बाग़-बगीचे।
तानपुरा निर्जीव है,
तन पूरा संगीत,
दरबारी आसावरी,
गाओ कोई गीत,
तुम्हारी आंखें प्यासी।
सुनाएं भीमपलासी।