छ: दशक से ज़्यादा हो गए श्रीमान!
(जब पतन ही पतन दिखाई दे तो भविष्य तन जाता है)
हमारी आज़ादी को
छ: दशक से ज़्यादा हो गए हैं श्रीमानजी!
इन छ: दशकों की हैं
छ: सीढि़यां, छ: सोपान जी!
इस दौरान हम समय के साथ साथ
आगे बढ़े हैं,
अब देखना ये है कि
हम इन छ: सीढि़यों पर
उतरे हैं या चढ़े हैं!
पहला दशक, पहली सीढ़ी— सदाचरण
यानि काम सच्चा करने की इच्छा,
दूसरा दशक, दूसरी सीढ़ी— आचरण
यानि उसके लिए प्रयास अच्छा।
तीसरा दशक, तीसरी सीढ़ी— चरण
यानि थोड़ी गति, थोड़ा चरण छूना,
चौथा दशक, चौथी सीढ़ी— रण
यानि आपस की लड़ाई
और जनता को चूना।
पांचवां दशक, पांचवीं सीढ़ी बची— न!
न यानी नो।
छठा दशक, इसमें क्या हो?
छठा दशक शून्य, यानी ज़ीरो,
लेकिन हम फिर भी हीरो।
पहले सदाचरण फिर आचरण
फिर चरण फिर रण
फिर न!
उसके बाद सिफ़र,
यही तो है छ: दशकों का सफ़र!
बताइए अब क्या करना है?
श्रीमानजी बोले— करना क्या है
इस बचे हुए शून्य में रंग भरना है!
और ये काम हम तुम नहीं करेंगे,
इस शून्य में रंग तो
सातवें दशक के बच्चे ही भरेंगे।