बात बात में बात बढ़ गई
(ग़ुस्सा तत्काल शांत नहीं होता परिणाम भुगतने के बाद शांत होता है)
बात बात में बात बढ़ गई
बिना बात की बात,
इसने कुछ ऐसा कह डाला
उसने मारी लात।
लात पड़ी तो इसने उठकर
दिया पेट में घूंसा,
उसने इसके मुंह में
गैंदा फूल तोड़ कर ठूंसा।
होंठ हो गए पीले-पीले
चेहरा हो गया लाल,
नील पड़े दोनों के तन पर
हुई गुलाबी चाल।
लड़े-भिड़े और गिरे-पड़े तो
दब गई सारी घास,
रोते धोते दोनों पहुंचे
टीचर जी के पास।
टीचर जी ने बात सुनी
झट हाथ में थामा रूल—
यही सीखने आते हो क्या
तुम दोनों स्कूल?
लुटे-पिटे दोनों बच्चों की
हो गई और पिटाई,
नहीं शिकायत करनी आगे
बात समझ में आई।
पुन: पिटे वे दोनों बच्चे
चुप-चुप बाहर निकले,
वे क्या निकले उनके मन के
ग़ुस्से बाहर निकले।
बाहर आकर हाथ मिलाए
ख़तम हुआ हंगामा,
पहले ने झाड़ी कमीज़
और दूजे ने पाजामा।