अपनी-अपनी प्रार्थना
(तुम अपनी प्रार्थना करो मैं अपनी प्रार्थना करूंगा!)
मंदिर में श्रीमानजी
प्रार्थना कर रहे थे—
ओ भगवान! ओ भगवान!!
रोटी दे दो,
कपड़ा दे दो,
दे दो एक मकान!
ओ भगवान! ओ भगवान!!
इतने में
मोटी तोंद वाला
एक पुजारी आया,
और सुनते ही चिल्लाया—
ओ जिजमान! ओ जिजमान!!
क्या करता है
क्या बकता है
नहीं तुझे कुछ ध्यान?
वस्तुत:, प्रार्थना करना
तुझे नहीं आता है,
तात, इतना भी नहीं ज्ञात
कि भगवान से
क्या मांगा जाता है?
सुन, ईश्वर से तनिक डर,
प्रार्थना मेरी तरह कर—
हे प्रभो तुम ज्ञान दो
मन-बुद्धि शुद्ध-पवित्र दो,
सत्य दो,
ईमानदारी और उच्च-चरित्र दो।
श्रीमानजी बोले—
पुजारी जी,
मैं तुमसे बिल्कुल नहीं डरूंगा,
तुम अपनी प्रार्थना करो
मैं अपनी करूंगा!
और इस बात को तो
हर कोई जानता है,
कि जिस पर
जो चीज़ नहीं होती
वही मांगता है।