—चौं रे चम्पू! दोहा में कौन-कौन कवि हते तेरे संग? —अटल, अरुण, ममता और सुदीप। वहां पहुंचते ही सुदीप के पास उसकी पत्नी का फोन आया, ‘कहां हो?’ ‘कतार में।’ ‘तुम तो दोहा गए थे। कतार में कैसे…
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कवि सम्मेलन हमारे देश ही नहीं बल्कि इस भारतीय उप महाद्वीप की एक सशक्त वाचिक परंपरा है। सदियों से चली आती हुई इस परंपरा के समकाल में अशोक जी का व्यापक अवदान है। उन्होंने न केवल देश में हास्य-व्यंग्य को स्तरीयता प्रदान की बल्कि विदेशों में भी कवि-सम्मेलन की भूमियों का संचयन किया। जहां आज अच्छी फसल उग आई हैं। हमारे देश के कितने ही कवि विदेशों में काव्य पाठ के लिए जाते हैं।