नैया बहे मंझधार में डूबी अब डूबी
(चोट खाने के बाद कन्याएं प्यार से तौबा कर लेती हैं कभी-कभी)
मैं अब कभी, भूले से भी
प्यार करूं! नहीं नहीं!
तकरार है
इस प्यार में,
इंकार है
इकरार में,
नैया बहे
मंझधार में,
डूबी अब डूबी,
डूबी डूबी डूबी
डूबी तो नहीं।
मैं अब कभी, भूले से भी
प्यार करूं! नहीं नहीं!
पागल पवन
बहते रहो,
तीखी चुभन
सहते रहो,
मीठी है ये
कहते रहो,
खुद को फुलाऊं
और चढ़ जाऊं
सूली मैं नहीं!
मैं अब कभी, भूले से भी
प्यार करूं! नहीं नहीं!
सच्चे भरम
झूठे सपन,
झूठे सजन
सच्चे भजन,
सच्ची अगन
झूठी तपन,
सच भी हैं झूठे,
सपने भी टूटे,
टूटी मैं नहीं!
मैं अब कभी, भूले से भी।
प्यार करूं! नहीं नहीं!